नयी कविता में मूल्य बोध | Nayi Kavita Me Mulya Bodh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : नयी कविता में मूल्य बोध  - Nayi Kavita Me Mulya Bodh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शशि सहगल -shashi sahgal

Add Infomation Aboutshashi sahgal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१८ नयी कविता में मूल्य-बोध ३. तीसरे मानव-मूल्य विकसनशील था नये मूल्य हैं। वैज्ञानिक क्रान्ति और तकनीकी उपकरणों के त्वरित निर्माण से जो सह-अस्तित्य, विश्व-बन्धुत्व आदि मूल्य सामने आये, वे विकसनशील मूल्य हैं और अभी भी निरन्तर इनमें विक्रास हो रहा है। हिन्दी की नयी कविता इन्ही मूल्यों से प्रभावित ओर भनुप्रेरित है । इसके अतिरिक्त संस्कृति मौर कई तरह की अन्तरंग सभौतिक प्रवृत्तियों से सम्बद्ध रहने के कारण कुछ मूल्य आत्मनिष्ठ या भावात्मक होते है और गाधिव- सामाजिक परिवतंनों से सम्बन्ध रहने के कारण कुछ मूल्य वस्तुनिष्ठ होते है । इस अर्थ में मूल्य-जगत_ आत्मनिष्ठता और वस्तुनिष्ठता का सम्मिश्रण है। मूल्यों का विकास प्राय: दो दिशाओं में होता है--ऊर््वे और समदिक्‌ । मृल्य-विकास जव ऊर्वं से समदिक्‌ कौ भोर होने लगता हैतो लोग उसे प्रत्यावर्तन या पुरात्तनता की ओर लीटना कहते है । कुछ विद्वानों ने मूल्यों को 'शाबवत मूल्य' और सामयिक मूल्य” इन दो वर्गो में भी बांदना चाहा है, लेकिन ऐसा विभाजन उचित नही है, क्योंकि मूल्य कोई देश- काल-व्यक्ति निरपेक्ष वस्तु नही है, वल्कि देश-काब की सीमाओ मे मूल्य भी परि- वर्तित होते है, अत: मूल्पों का ऐसा विभाजन संभव नही है । विलियम लिल्ली ने मृत्यो का विभाजन करते हुए कहा है-- (मूल्यों का एक सामान्य वर्गीकरण याचक मृत्यो भौर निरपेक्ष मूल्यों के रूप में किया गया है। वस्तु के यांत्रिक मुल्य का आधार उसकी अन्य मूल्यवान उत्पादन की क्षमता है*** जो वस्तु स्वयं में ही उत्तम है, न कि अपने महत्व के कारण, वह निरपेक्ष भूत्य है 1*' यात्रिक या सहायक मूल्य तो अर्थशास्त्र का विपय है, लेकिन जिन वस्तुओं का मूल्य स्वृत:सिद्ध है, ऐसो ही वस्तुओं, घारणाओं या मान्यताओं का अध्ययन मानव- मूत्थो के अन्तर्गत क्रिया जाता दै। प्रसके अतिरिक्त अन्तभूत मूत्य (1111109८ ০19০) का अध्ययन भी मानव-मूल्यों की हो सीमाओं में आता है । मानव-मूल्य फ्रितने और कौन-कौन से है, इसके निर्धारण में विचारकों ने बहुत श्रम किया है | भारतीय विचा रकों द्वारा प्रतिपादित सत्यं, शिव, सुन्दरम्‌ तथा पाश्चात्य विचा रकों द्वारा प्रतिपादित 159021119 110001) 010 12101017119 (নমানলা। হনভ্ভবলা व 1... 6 वात राग तंजशंग्रंणा ० ৬2105 1173 7১৫01) 11010 115117017101121 21005 2070. 010501010 ৬০1005, 47 111510017701101 ৮2101015110 ৫100 (1101 8 धांगह 195 7১002005011 15 9 7710019 01 [071001017? 501710- (17176 ९६5० ০02100,... ^ [1705 00720155900 17315017270. गत 6641156 01169 00115001011005 1725 0195011110 ৬০1810,, --2টাঃ 17090001077 00 13117105 0৮ जाता, 711०, 9. 209




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now