भारतीय राजनीतिक चिंतन | Bhartiya Rajneetik Chintan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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61 भारतीय राजनीतिक विन्तन में उसके लिए राय मानना जी है !! मजिमष्डल के सदस्यो एवे अन्य अपिकाप्वि का चयन योग्यता के आधार पर किया जाना चाहिये । सोमदेव का एक रेष्ठ एरजा के शातन पर बहुत ही जोर है। वह तो यँ तक कह देत है कि एक पूर्वं राजा के रज्यसे तो बिना ग़जा का प्तमान होना ज्यादा श्रेयस्कर है । एक दुष्ट राजा के शासन से बडी कोई अन्य विपदा नहीं हो सकती 12 सोमदेव कोई मौलिक विचारक नहीं थे। उन्होंने जो लिखा यह करीब करीब सभी कौटित्य के অর্থযাল ঈ দিল লারা ই | লহ एक जैन साधु थे और राजनीतिक समस्याओं पर व्यवत्यित विचार काना उनकी प्रकृति मे भीन या कामन्देक नीतिसार कोमन्दक स्वयं स्वीका काते है কি यह कौटिल्य के अर्थशास्त्र का ही सार इस पुस्तक मे प्रस्तुत कर रहे हैं । कहीं कहीं उनके स्वयं के विचार भी मिलते है । कामन्दक गजा ओर प्रा के हितों में कहीं विशेष नहीं देखते, वह ग़जा और प्रजा दोनों को ही मैतिक नियमों में आवद्व काते हैं। उच्होने इस पुस्तक भे मेक उदाहरणो के आपा पर सिद्धे करने का प्रयात किया কি नीतिविदीन भ्रष्ट ग़जाओ का किस प्रकार पतन हो गया। कामन्दक भी राजतं्रवादी हैं और चूकि राज्य के मूल में ऱजा को मानते हैं इसलिये गम्य के कल्याण और विकास देतु रना की कषा पाः बहुत नोर दैते है । राजा के कायो का भी इसमें पिशद वर्णन फिया गया है । सप्तांग राज्य के बोरे में भी इसमें वर्णन है । अन्तर्रज्यीय संबन्धों का भी इसमे उल्लेख है भौर न्याय व्यवस्था एवं सेना की भी इसमें चर्या है। कुल मिलाकर पुस्तक में ऐसी कोई विशेष बात नही है जो कि कौल्य के अर्पशात्न में सवित्तार से उपलब्ध न हो । ऐसा लगता है कि पुस्तक की रचना काल ঈ राणा, प्रशासन, मंत्री पर ही सागर ध्यान केन्द्रित होने लगा है और इसकौ छाया इस पुस्तक पर है । यह स्पष्ट है कि कामन्दक के समय गणत॑त्रीय अपवा अभिननतंत्रीय व्यकस्पा नहीं थी। गननीतिक चिन्तन के सोत प्राचीन भारतीय गजनीतिक चिन्तन के নিলাকিন মীন ই :- 1. वैदिक साहित्य 2 रामायण 3 महाभारत 4 पर्मसूत्र 1 नैती दक्दमृत पृ 5 33 2 नैति दाक्पमृत, पृ 10, 58, 59




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