उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार कार्यक्रमों के द्वारा गरीबों को भूमि आवंटन एक क्षेत्रीय अध्ययन | Uttar Pradesh Men Bhumi Sudhar Karyakramon Ke Dwara Garibon Ko Bhumi Aavantan Ek Kshetriy Adhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
36
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छ मेँआधेव एक एकड़ से कम भूमि प्राप्त करने वाले आवंटियों की संख्या क्रमशः 31.0 से 33.0 प्रतिशत `
तक है। हमारे प्रतिदर्श मे सबसे अधिक लाभार्थी (33.33 प्रतिशत) 1.0 से 2.0 एकड़ के समूह में है
` लेकिन जिलेवार एटा व झांसी के सबसे अधिक लाभार्थी इस वर्ग मेँ है | 2.0 से 30 एकड़ तक भूमि
प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या लगभग 13.0 प्रतिशत हैं। इसमें सबसे अधिक लगभग 29.0
प्रतिशत लाभार्थी लखीमपुर के हैं। हमारे प्रतिदर्श में लगभग 6.0 प्रतिशत लाभार्थियों को 3.0 एकड़
से अधिक भूमि का आवंटन हुआ है ये आवंटी एटा जिले के है।
अधिकतर लाभार्थियों (43.0 प्रतिशत) को भूमि आवंटन हुए 30 वर्ष से अधिक समय हो गया
है जबकि 19.0 प्रतिशत लाभार्थियों को भू-आवंटन हुए 10-15 वर्ष व लगभग 48.0 प्रतिशत को
. 15-30 वर्ष हो गये हैं। हमारे प्रतिदर्श के लगभग 8.0 प्रतिंशत लाभार्थी को भू आवंटन हुए अभी
5-10 वर्ष ही हुए हैँ जबकि लगभग 130 प्रतिशत लाभार्थियों को भू आवंटन हुए 5 वर्ष से भी कम
समय हुआ है। इनमें अधिकतर लाभार्थी सुल्तानपुर व झांसी के हैं। झांसी में 87.5 प्रतिशत व
.. लखीमपुर में 71.0 प्रतिशत लाभार्थियों को भूमि आवंटन हुए 30 वर्ष से अधिक वर्ष हो गये हैं। कुल
मिलाकर हमारे प्रतिदर्श के लगभग 79.0 प्रतिशत लाभार्थियों को भूमि आवंटन हुए 40 वर्ष से अधिक
... का समय हो गया है।
५ सामान्यतः भूमि आवंटन की सूचना गांव में डुगडुगी बजाकर दी जाती है। हमरे प्रतिदर्थ
.._ के लगभग 42.0 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस बात को स्वीकारा है। गांव के प्रधान से लगभग
.. 54.0 प्रतिशत व लगभग 4.0 प्रतिशत लाभार्थियों को लेखपाल के माध्यम से भू आवंटन की सूचना
= साधारणतया चयनित लाभार्थी को आवंटन का पट्टा लेखपाल द्वारा आवंटी के घर में देने
का प्राविधान है। लेकिन लेखपाल ग्राम सभा की बैठक में जाकर प्रधान के माध्यम से आवंटियों को
पट्टा बेटवा देते है। हमारे प्रतिदर्श में भी लगभग 64.0 प्रतिशत पटटे ग्राम पंचायत की बैठक में तथा
लगभग 250 प्रतिशत लाभार्थियों को आवंटित भूमि के पट्टे लेखपाल ने स्वयं दिये हँ । यदि कोई
व्यक्ति पंचायत में न पहुँचे व लेखपाल को नहीं मिल पाये तो लोगों को पटटा लेने तहसील कार्यालय
ছটা ০ जाना पड़ता है। लगभग 11.0 प्रतिशत लोगों ने इस बात को स्वीकारा है |
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