वृहद् तीन बत्तीसी | Vrihad Teen Battisi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : वृहद् तीन बत्तीसी  - Vrihad Teen Battisi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
[৩] संबंध को कायर और कमजोर देखते ही रह जाते है जबकि आत्मजयी पुरुष इन सब उपसर्ग ओर उपद्रवो कौं परवाह किये बिना अपने जीवन के ध्येय के प्रति समर्पित हो जाते है. । श्रो जिन तारन तरन अपने समय में जो कुछ भी जेनत्व की, रक्षा के लिये कर सके वह वन्टग्नीय और अभिनन्दनीय कद्दा जा सकता है । संक्षेप मे उनके ६७ वर्षीय जीवन को ५ सागो मे' विभाजित किया जा सकता है। १-बाल जीवन २-शास्प्राभ्यास जीवन रेततात्व चिन्तन मनन जोबन ४-अद्गचर्य सहित निरतिचार व्रती जीवन ४ मुनि जीवन । श्री तारन स्वामी का परिचय देने वाले ग्रन्थो से स्पष्ट जाना जाता है कि उन्होने ६० बष को आयु में मुन्ति पढ प्राप्त कर लिया ओौर ६७ घें तक टिगम्बर साथना में रहकर अपने आप को निखारने में लगे रहे । उन्होंने जो साहित्य-रचना की वह भी पांच सागो में विभ्क्त होती है। १आचार मत २-विचार मत २े-सार मत ४-ममल मत ४-केबल मत । आचार मत से श्रावकाचार, विचारमत मे तीनों बत्तोसी, सास्मत में त्रिथगी सार, ज्ञान समुच्चय सार और उपदेश शुद्ध सार, ममल मत में-समल पाहुड एबं चौदीसठाणा । केबलमत मे -छद्म॒स्थवाणी, नाम माला, खातिका विशेष, सिद्ध स्वभाव, एवं शरन्य स्वभाव } सन्त श्री के विषय मे ठिकानेसार नामकं उत्तरवर्तिरय ही कत्तिपय परिचग्रात्मक अश प्रदान करता है । হাহ वाणी के जध्य्रयनसे मेरा स्पष्ट मत बनता दै कि यद्‌ खन्त श्री को रचना नहीं है। यहू संभव नहीं है. कि कोई सी लेखक अपनी रचना में अपने मरण को त्तिथि का श्री उल्लेख कर सके । छदूमस्थ बाणी के अतिम अध्याय में श्री तारन स्वामी के नाम का इस प्रकार उल्लेख हुआ है :-




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now