टालस्टाय की कहानियाँ | Talstaya Ki Kahaniyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
218
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० टायल्स्टायकी कहानियां
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ओर बोला-देखो, मेने जूतोंमें मिट्टी भरके बाहर फेंककर यह
सुरंग लगायी है, चुप रहना। में तुमको यहांसे भगा देता हूं ।
यदि शोर करोगे तो जेलके अफसर मुमे जानसे मार डालेंगे,
परन्तु याद रखो कि तुम्हें मारकर मरू गा यों नहीं मरता ।
भागीरथ अपने शत्रुको देखकर क्रोधसे कांप उठा और हाथ
छुडाकर वोला- सुमे भागनेकी इच्छा नहीं, और मुमे मारे तो
तुम्हे २६ वषं हो चुके । रदी यह् हाल प्रकट करनेकी वात, जैसी
परमातमाङ़ी आज्ञा होगी वैसा होगा ।
अगले दिन जब केदी बाहर काम करने गये तो पहरेवालोंने
सुरंगकी मिट्टी बाहर पड़ी देख ली। खोज लगानेपर सुरंगका पता
चल गया | ह्मकिम सब केदियोंसे पूछने लगे । किसीने न बत-
लाया क्योंकि वह जानते थे कि यदि बतला दिया तो बलदेव
मारा जायगा । अफसर भागीरथको सत्यवादी जानते थे, उससे
पूछने लगे--बूढ़े बाबा तुम, सच्चे आदमी हो । सच बताओ कि
यह सुरंग किसने लगायी है ।
बलदेव पास ही ऐसे खड़ा था कि कुछ जानता ही नहीं । भागी-
रथके होंठ और ह्वाथ कांप रहे थे । चुपचाप विचार करने लगा
कि जिसने मेरा सारा जीवन नाश कर दिया उसे क्यों छिपाऊं ?
दुःखका बदला दुःख उसे अवश्य भोगना चाहिये, परन्तु बतला
देनेपर फिर वह बच नहीं सकता | शायद यह सब मेरा भ्रममात्र
हो, सौदागरकों किसी और नेही मारा हो | यदि् इसने ही मारः
है तो इसे मरवा देनेसे मुझे क्या लाभ होगा ?
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