इंगलैण्ड एवं सोवियत संघ का आर्थिक विकास | Ingalaind Avam Soviyat Sangh Ka Aarthik Vikas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ग्रेट ब्विदेन १६ मायी वाय आवश्यक्तामौ बी पूति दौ जानी रै नौर शेय पच्ाप् प्रतिदत के निए ब्रिदन आयात पर निर्भर रट रै! ६ करोड एक्ट भूमि में से लगभग ४६ करोड़ চর पमि इषि मथवा पिते सम्बद्ध व्यवसाय के लिए काम में सी जाती है । ब्रिदन में औसत फार्म वा आवार ७० एवंड है। प्रिटिश 2पि मे बुत जनसख्या वा लगभग ३४ प्रतिशत भाग लगा हुआ है और राष्ट्रीय आय का लगभग ४ प्रतिशत एषि से उपाजिन हाना है 1 दूध, बण्डे तवा यानु वे उत्पादन मे इयलैंण्ट आत्मनिर्भर है । अपनी आवश्यकता वा सगमग आया गहूँ एवं एक-चोयाई घीती मी त्रिटन स्वम उत्पन्न वर লা है, किन्तु तेल, मवसन, पनीर, सज्जी एवं फत्रों वी आवश्यकताओं নী খুজি मुख्यत आयात से वी जाती है। पव्रिठ्न में जो फ्सलें उत्पन्न वी जाता है उनमे गद्दे, णो, जई, राई, आलू, चुबन्दर आदि के नाम उल्लेखनीय हैं । सब्जी, फत एबं पशुओं के जिए चारा भी उत्पन्न क्या जाता है। पिछले दस वर्षों में व्विटेन ने अपन इषि उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि कर ली है। सभ्‌ १६५६ को आधार वर्ष मानते हुए सन्‌ १६६५ में कृषि उत्पादन का सूचनाव' १३७ था । तरिर दपि से ४५० मिनि यन पौण्ड की भय प्राप्त होनी है। इसर बुछ वर्षों से फार्मों पर मशीनों का प्रयोग बढ़ रहा है क्योकि पिछले दस बर्षों में कृषि श्रमित्रों के प्रेतन-स्तर में ६० प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। ब्रिटेन में प्रति ३६ एक्ड कृषि-योग्य भूमि के जिए एक ट्रेकटर उपलब्ध है। ब्रिटेन से कुल द्रेंवटरो बी समस्या ५ लाख है। विश्व के अन्य किसी भी देश मे ट्रेक्टरो का इतना घनत्व नहीं है । ब्िटेन की सरकार लगभग ३०० मिलियन पौण्द प्रति वर्ष हृपि की सहायता एवं विकास वे लिए व्यय करती है। ६० प्रतिशत हृषि फार्मोो विद्युत सुविधाएँ সাছন हैं । (८) रोजगार- दोनो विश्वयुद्धों बे बीच के काल में ब्रिटिश वार्यशील जन- समस्या वा १४ प्रतिशत भाग बेदार से ग्रसित था। द्वितीय विश्वयुद्ध ने वेवारी की मात्रा में कसी को क्‍्योंत्रि सेनिक गतिविधियों मे बहुत अधिक संख्या में लोगो की आवश्यकता प्रतीत हुई पिछुले बीस वर्षों से ब्विदेन में कुल कार्यणील जनमख्या के” केवल २ प्रतिशत लोग वेकार रहते हैं। ऐस व्यक्तियों वी सस्या मोटे तौर पर ५ लाय है । स्वाटलैण्ड, उत्तरी आयरलैण्ड एवं उत्तरी पूर्वी इगलैण्ड के कुछ उद्योगों वी চিন हुई दशा के कारण इन भागो में वेकार व्यवितियो वो संख्या कुछ अधिव है। ऐसे व्यक्तियों के भरण-पोषण, प्रशिक्षण तथा फ़िर से काम दिलाने के लिए सरव्यर की ओर से समुचित प्रवन्ध किया हुआ है । पिते पाचि वर्पो मे बेरोजगार व्यक्तियों की सख्या से कमी हुई है । सन्‌ १६६६ मे ऐसे व्यवितयों की सख्या चार लाख से भी कम थी। (৩) আল एव सामाजिक सुरक्षा--औद्योगिक ऋ्राम्ति वे' पश्चात ब्रिटेन में श्रम सम्बन्धी अनेक समस्याओं क्यू जत्म हुआ । औद्योगिक पूँजीवाद के प्रारम्भिक काल मे”




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