श्रीराधा | Shriradha

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Shriradha by राजेन्द्रप्रसाद मिश्र - Rajendra Prasad Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एपरिकि दिशाथिबा वस्तमाने कथा कहिबाक सजबाज हेलाबेछे आउशद्ठ पडट न थिला सेमानंक उत्तर देबाक ' आमे कण जाणिथिल एते कथा कटहिवाक অতি, रातिर सगन्ध अछिठि, तरामाने एड एकटिआ। आमे कण जाणिथिल मयर मनरे एते द.ख अछ्छि बोलि, रसक्रीडा पाडें एते जागा अछिठि बोलि नईकक्छे ओ निज भितरे। से सब लोहित चक्ष घातक मानक जणे परे जणे होड आसिबा देखिर्नं, সা শলাল येनब॑क्रे जणं पर जणे हाड मले नमं पर्टविवा आगं आर भलि याड सारिथिबा शब्दमाने क्रमे मन परडाथले। 12 , श्रीराधा




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