हीरक प्रवचन भाग - 1 | Heerak Pravachan Bhag - 1

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Heerak Pravachan Bhag - 1 by पं धरमपाल जी मेहता - Pt. Dhrampal Ji Mehta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[८] हिका या निष्ट शुरुथात भीमान्‌ मवरक्ताक्तभी पियाल ने सादे লাল हज्ञार की उदागरसा प्रगट ढर को । अक्षय हृतोया दिवस उत्माद्ट पूर्व मनाने डे पात्‌ মণ মী ह९ २४-५-५६ को बालापुर पेठ होते हुए मामराज पैंठ पधारे | यहां म० श्री राम मन्दिर में बिराजे। यहां के भाइयों में भी रई নী से াথদী ইননহয ঘা ঘন্ত্ে মণ श्री तथा दानपोर सेठ थी छगनमनजी सा० भूया के सद्‌ प्रयत्नों से बसों इनि भी हुई और आपस में सम्प करा दिया गया। ता? २६-४-४६ ছা इस বান मन्दिर छी सहायताये भाव्रध्ठ संघ की ओोर से ५०१) रु० प्रदूनं हिए गए । सलपा्यायू म० भी ने ता० २७ ५ ५६ ढो मैसर की भोर प्रस्याग डिया | रास्ते में कई प्रार्मो में धर्म प्रचार करते हुए म० श्री छा० १४-६-४६ छो मेहर शाहर मे पयारे। वही आप एवतोकर मूर्तिं पूजक घमशाला में विगज 1 शहर को क्षमठा ने चपारमोके में म० भ्री का भाष-मीनां स्वागत ह्या । स्थानीय তান हॉल में म० भी में स्वागत सापण दिया। यहाँ प० मुनि श्री ल्ाभचनदजी म० ने धारे स्पूलां मे पधार इर भोमान्‌ सेठ माणकषन्देनो ता० छन्नी ছি লহ সযংনী द्रारा छ हकार विधाविव ক मभ्य मापण रिष 1 सेपुर शर्की लना को उपदेशामृत का पान कराकर स० श्री ने पुन ठा० रेप $ ४६ को ैंगलार की ओर विहार कर दिया । रास्वे से अनेक श्रा्ों सधर्म प्रचार एव उपचार करवे हुए म० भी ता० ८-५-८६ श्न पुन मंगलोर शहर में पधार गव्‌ । यहाँ छे श्रावद्र प्तप न झपन धरम नायक का पुन मुस्थागत किया और म्० भी छो गूत्े মাপা এগ स्यानक मे लेशा कर ठहरायो। প্রা ३२०७-४६ को म० भरी का सेठ कुम्दनमलजी पुलराजमी सूकर ® बगल पर भोपण हृच्या । यह मोप्वरी वथा पमाग् रोड




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