गांधी - युग का अंत | Gandhi Yug Ka Ant

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Gandhi Yug Ka Ant by देवीदयाल दुबे - Devidayal Dube

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्‌ ৫১ म॑ ९ का युग-निर्माता हात्मा मोहनदांस करमचन्द गान्धी करे रूप मे भाज-कर पकर दुवखा-पतला खादी-वेष्ित शरीर हमारे देश के लिय समस्या वनकर उपस्थित ই ই कोई भी क्यो न हो, राजनैतिक, ১ ५ हे | টু आधिक, सामाजिक और धार्मिक ই विषयों पर चिचार करते समय गान्धी को नहीं भूछः सकता। उन्होंने अपने व्यक्तित्व के वल पर सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है। एक লাক में कहा जा सकता है, कि गान्धीजी भारतवर्ष के ऐसे केन्द्र-चिन्दु हैं, जहां पर उनके सहयोगी तथा चिरोधी दोनों की त्रिचार रेखाएं मिलती हें । यह नही दो सकता कफि भारतीय समस्याओं पर विचार करते समय गान्त्री जी की ओर से चश्पपोशी की जा सके। इस समय देश में जितनी भी सावजनिक हलूचलरू चल रही हैं, घे या तो उनकी हैं था उनके विचारों के अनुरूप उनके प्रिय शिष्यों की, अथचा उनस मतभेद रखने वले विचारों के महानुभावों की । सारांश यह है कि. हम या आप कोई भी क्यों हों, सान्ध्री




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