मंगनीके मियाँ | magnike Miya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कुछुम--खैर तो फिर वह सो ही गयौ होगा । अच्छा जरा एक
काम करो तो | रसोईघरमें जो छोटी आछ्मारी दीवारके साथ लगी है,
उसमे चौँदीकी एक डिबिया रखी है । उसमें बच्वेकी सोनेकी जंजीर
रखी होगी । वही -जंजीर निकार ठाओ। और देखो, जरा साबुनसे
उसे साफ भी {करते छाना ।
राई--जी बहुत अच्छा । ( जाता ह )
कुसुम--बहन, तुमने कमरा सूर सजा दिया । अब यह देखने
लायक हो गया है ।
कमला--जरा ठहर जाओ । यह एक परदा इस मेहराबमें और
लगा छूँ, तब देखो | ( कमला खिड़कीके पाससे एक कुरसी स्तींच लाती है
और उसपर खड़ी होकर मेहराबके आगे प्रदा लगाती है । )
कुसुम--बहन, तुम तो इस समय मनमें मुझपर खूब हँस रही
होगी कि मैं तुमसे चीजें मैगनी माँगकर और इस तरह अपना कमरा
सजाकर अपना अमीरी ठाठ दिखलाना चाहती हूँ।
कमछा---अजी जाने भी दो, इन बातोंमें क्या रखा है | मेरा
तुम्हागा कुछ दो थोड़े है । आपसदारमें इस तरहकी बातोंका
ख्याल नहीं किया जाता |
कुसुम--यह्द तो तुम्हारी उदारता है | पर मैं भी लाचार थी।
यह मौका ही ऐसा आ पड़ा कि बिना तुमसे सहायता लिये काम नहीं
चर सकता था | तुम यह तो जानती ही हो कि हम छोग प्रारम्भमसे
ही गरीब थे । गरीब तो अब भी हैं, पर पहले हम छोगोंके दिन
बहुत ही कश्से बीतते थे। उन्हें यहाँ जल्दी तो कोई नौकरी मिली
नदी; ओर पासकी पनी मला कितने दिन चरु सकती थी | इससे
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