मंगनीके मियाँ | magnike Miya

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magnike Miya by रामचंद्र वर्मा

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कुछुम--खैर तो फिर वह सो ही गयौ होगा । अच्छा जरा एक काम करो तो | रसोईघरमें जो छोटी आछ्मारी दीवारके साथ लगी है, उसमे चौँदीकी एक डिबिया रखी है । उसमें बच्वेकी सोनेकी जंजीर रखी होगी । वही -जंजीर निकार ठाओ। और देखो, जरा साबुनसे उसे साफ भी {करते छाना । राई--जी बहुत अच्छा । ( जाता ह ) कुसुम--बहन, तुमने कमरा सूर सजा दिया । अब यह देखने लायक हो गया है । कमला--जरा ठहर जाओ । यह एक परदा इस मेहराबमें और लगा छूँ, तब देखो | ( कमला खिड़कीके पाससे एक कुरसी स्तींच लाती है और उसपर खड़ी होकर मेहराबके आगे प्रदा लगाती है । ) कुसुम--बहन, तुम तो इस समय मनमें मुझपर खूब हँस रही होगी कि मैं तुमसे चीजें मैगनी माँगकर और इस तरह अपना कमरा सजाकर अपना अमीरी ठाठ दिखलाना चाहती हूँ। कमछा---अजी जाने भी दो, इन बातोंमें क्‍या रखा है | मेरा तुम्हागा कुछ दो थोड़े है । आपसदारमें इस तरहकी बातोंका ख्याल नहीं किया जाता | कुसुम--यह्द तो तुम्हारी उदारता है | पर मैं भी लाचार थी। यह मौका ही ऐसा आ पड़ा कि बिना तुमसे सहायता लिये काम नहीं चर सकता था | तुम यह तो जानती ही हो कि हम छोग प्रारम्भमसे ही गरीब थे । गरीब तो अब भी हैं, पर पहले हम छोगोंके दिन बहुत ही कश्से बीतते थे। उन्हें यहाँ जल्दी तो कोई नौकरी मिली नदी; ओर पासकी पनी मला कितने दिन चरु सकती थी | इससे ७




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