स्वतंत्रता का सोपान | Savtantrta a Sopan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[5] यह 'स्पतत्रताक्ा सोपान? अयराज विनामृल्य ही जनमित्रके ९४-४७ चें वर्षक आहकोको घर बैठे पहुच जायगा । इसके ल्यि प्रयक्र आहकका कर्तस्य है कि वे इस सग्रहको अवर स्वाध्याय च्यते ए्कवार तो कया झोक्यार प्यानपूर्वक पढें और उद्खक भाई पह्िनोंका आंखे रूपमें सुनावें ताकि सबको भाध्यात्मिक जानकर फन विपये समझमे आसकेगा और प््नचारीजीका व हमाश इसे प्रकट कानका परिश्रम सफल हो सकेगा । चीर स० २०७० निवेदक-- दीपायली मूलचन्द किसनदास कापादिया नता० १७-१०-४१ -शरराशङ।




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