विचार परिणाम | Vichar - Parinam

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Vichar - Parinam by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १४ ) विचार का दरयद वनि जो पन्मे बोया जाना है या इसको मनके भीसर गिर पड़ने भार नह पहन द्वियाजाता ता बद दर्मं या जल्दी स चपत्र ही जसे फूल कप के रूप मे पदा ऋरता ह झर मोके ओर हालात के फल अपनी ही छिस्म फे मौजूद करता हे. भ्त खमालानस भले फल्ल भौर युरो स ब्रुरे फल पेदा दति खयालान की भीतरी दुनियां के प्रवाफिक हालान (दशाओं ) फी वाहिरी दुनियां अपना रुप. ढंग टस्तियार कर लेती ओर श्ये धरार वृर गनेवाल वाहिरी हालात दोनों प्रति. निधि # ( कायमप्रकाम ) के तार पर है जो दरएफ मनुष्य 4 के भली भांति श्न्तिम परिणाम को प्राप्त होने के लिये काम फ- रते हैं, इसलिये अपनी खनी ञ्याप लुणन वाले की तरह से इन्सान सुख झार दुःख दाना स सबक साखता ह (1शक्ता तता हं). इन्सान झपन भनरी यानान आर इन्त হাসা কা पर्यी ( झनुकरण ) करता हुआ चाहे बह बुरे खयालान की पेरवी फरे वा भक्ते खयालान की, उची गह पर चल या नीची पर, आखिर में वह अपनी जिन्दगी के वाहिरी हालान की फल प्राप्ति के स्थान में पहुंच जाना हे ओर शपनी करणी का फल भागना है. तरवर्ी और सुधार के छानून इरएक ज- हग पारद दं > प्रतिनिधी) जो दूसरे के लिये फाम कर =+ কি সি न 2 बह कू च পি करन ५, रिफाटि झास के लिये अच्छे ननोज पदा करन का. তি (1 लत भ




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