प्रवेशिका परीक्षा की पाठ्यपुस्तक : भाग 2 | Praveshika Pathya Pustak : Bhag 2
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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६ ' शुण हैं छत्तीस पुर, घरेता धरम” हर, मारत करम ङः
सुर्मति विचारी है'। शुर्द्धे सो आँचारवंन्त, सुन्दर है रूप “कंत;-
अंप्या सब ही सिद्धान्त) वॉवणी सुप्यारों है। अधिक / मधुरवेण/
फो नह छपे केण, सकर जीवां को 'सेण, ' कीरत अपारी है,'
कंहत हैं. तिछोकरिख। दितकीरी” देते सीख, ऐसे भाचारज ता
बन्दनाइमारी हैक ट ० ^;
* पैसे आचार, न्याय पक्षों, भंद्रिंय परिणामी, परसपुज्य,'
कल्पनीक-अयित' वस्तु के भ्रहणंहार, सचित के त्यागी, वैरागी;
मद्दागुणी, गुण के अनुरागी सौभागो हैं। ऐसे श्री अन््चायंजी
महाराज आपकी ( दिवस सम्बन्धी ) अविनय आशातता की हो तो
নাজাত ই आचारयजी महाराज ! मेरा अपराध क्षमा करिये, हाथ
जोड़, भान मोड़, शीप ना कर +००८ चार नमस्कार फरता हूँ |
” 6 तिबखुतो आयाहिएं 'पयाहिणं वंदापि নর্ম-
सामि सकारंमि' सम्मोणेमि बन्नाणं मंगल देवय॑-सेह्ये
पज्जुयासामि- [ का ~ ~ ~ ०
' হাঁধন भव भव জাঘকা হাংণ হীতী 8৮.) . -` धः
$ ~ री घममोचायजी मेद्वराज को बन्द्ना--समस्कार हो, जो)
^ 8 कोद कोद जगह धर्माचार्यजी की चन्दना रपौ पदी को वन्दना
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