चित्रकूट धाम मण्डल में सरकारी चिकित्सालयों के चिकित्सा अधिकारीयों एवं मरीजों के परस्पर सम्बन्धो एवं दृष्टिकोणों का समाजशास्त्रीय अध्ययन | Chitrkut Dham Mandal Me Sarkari Chikitsalyon Ke Chikitsa Adhikariyon Avam Marijo Ke Paraspar Sambandho Avam Drishtikono Ka Samajshastriy Adhhyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
136 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शाखा है जिसके अन्तर्गत संज्ञानात्मक संरचना का अध्ययन भूमिका सम्बन्ध मूल्य
व्यवस्था, धार्मिक कृत्य, व्यवहार में व्यवस्थाओं के रूप मे औषधि विज्ञान का प्रकार्य आदि
का अध्ययन किया जाता है। '
0510 पभा ने लिखा हे कि चिकित्सा समाजशास्त्र का समाजशास्त्र के लिए
कोई विशेष महत्व नहीं हे । चिकित्सा समाजशास्त्र की समस्याओं पर समाज वैज्ञानिक
विश्लेषण सामाजिक संगठन के सामान्य प्रारुफँं पर प्रकाश डालता हे ॥
3.701,9%2]19 ने लिखा है कि “समाजशास्त्र को तो हम इन परिभाषाओं से
सम्मते हुए कह सकते हं कि यह समाज ओर सामाजिक व्यक्ति की समस्त सामजिक
कृतियों एवं अन्त.क्रियाओं का व्यवस्थित अध्ययन हे किन्तु ओषधि (भल्लाट) को
सम्पूर्ण रूप मे समझने के लिए यह जानना पड़ेगा कि अपने विस्तृत अर्थ में जिसमें अनेक
बातें आती हैं जैसे रोग का अर्थ, प्रकृति, कारण, विस्तार और व्याख्या, निदान का ज्ञान,
श्रोत, स्वास्थ्य तकनीक, उपचार के ढंग, सहायक आवश्यकताएँ, औषधियाँ एवं उनकी
प्रकृति, उपचार तथा सेवा संगठन, कार्मिक प्रबंध तथा विषय अनुसंधान ओर अन्ततः
उपरोक्त सभी के सम्बन्ध में तार्किक निर्णय जिनकी क्रियान्विति का मूल्यांकन करते हुए
नीति निर्धारण आवश्यकता तथा प्रासंगिकता के आधार पर किया जाता रहे |
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट हे कि स्वास्थ्य का रोग ओर उसके कारण, स्वरूप तथा
विस्तार से सम्बन्ध है तथा रोग की कारणात्मक व्याख्या, रोकथाम ओर निदान का
सम्बन्ध स्वास्थ्य के रख रखाव से हे । स्वास्थ्य एवं रोग एक ही सिक्के के दो पक्ष है|
इस उदाहरण को सामाजिक जीवन के किसी भी परिवेश मे उतारा जा सकता हे ।
जेसे- पारिवारिक संगठन के कारक उसके रख -- रखाव के लिए उपयोगी है किन्तु वह ।
कारक जो इस संगठन को चुनौती देकर विघटित करते ই उन्हे भी उसी प्रकार से जानना `
आवश्यक है। इसी क्रम में यह भी कहा जा सकता है कि जहां समाजशास्त्र को `
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3. 1291015, 8-1650090100/ 01119210, ৬০।111, 26902 104-105 _ द |
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