मैक्सिम गौकी की अमर कृति | Maeksim Gauki Ki Amar Krati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31 MB
कुल पष्ठ :
430
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चंद्रभाल जौहरी - Chandrabhal Jauhari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १२ |
रखना चाहता है, उतने ही जरूरी हैं | लिटिल रूसी नाम का एक क्रान्तिकारी मजदूर पवेल
का मित्र है । वह घर-बार छोड़कर क्रांतिकारी कार्य में लिप्त, कारखानों में काम करता फिरता
है, या हो सकता है, क्रांतिकारी कार्य में भाग लेने से ही उसका घर-बार उससे छूट गया
है और जेल ओर जलावतनी ही उसका घर हो गये हैं | वह हृदय से बड़ा कोमल ओर
मानवी है, जिससे मा को वह खपने पुत्र पवेल से अधिक नहीं तो कम से कम बराबर दी
प्यारा हो जाता है | लिटिल रूसी अपने हृदय में भरे हुए कोमल प्रेम को निराशा को दर्द
से भरी हुईं, मुँह की सीटियाँ में धीरे-धीरे बजा-बजाकर निकालता है, अपने मखखरेपन और
हँसी-मजाक के पर्दे मे अपने दिल का दर्द छिपाये रहता है। व्यसौवशचिकोव नाम का
एक भोंड़ा, उजड़ु, कुन्ददेना-तराश नौजवान है, जिसका बाप चोर है ओर मा मर चुकी
है । दुनिया उपको नीच समझती है ओर उसके साथ एक अछूत का-ता व्यवहार करती
है, जिससे वह हमेशा दुनिया से चिढ़ा हुआ सा रहता है ओर सदा मरने-मारने हो की
सोचता रहता है । परन्तु वह मारने का विचार ही करता रहता है, जब कि सष्टुदय छिरिल
रूसी मुंशी इसाय का खून कर डालता है । व्यसोवशचिकोव के-से चोर के भोंडे लड़के
और लिटिल रूसी-जैसे खूनियों के प्रति भी आपका हृदय गोर्की इस उग्न््यास में द्रवित
कर देता है। पवेल एक बड़ा उच्चा क्रान्तिकारी और गम्भीर सैनिक है। परन्तु वह
अपने आदर्शवाद और गम्मीरता में जो बातें नहीं समझ पाता है, वह लिटिल रूसी अपनी
सदृदयता के कारण समझ लेता है, जिसका वर्णन करता हुआ गीकों इस बात पर जोर
देता है कि दुनिया में बहुत-से महत्त्वपूर्ण काम बुद्धि से नहीं, बल्कि सहृदयता ही से हो
सकते हैं। खशा नाम की एक अमीर घर को लड़की अपने कुकर्मी जमींदार बाप को
छोड़कर क्रान्तिकारी आंदोलन में भा मिलतो है। वह बड़ी कोमल और रग-रग से स्त्री
है । सशा पवेल पर आसक्त है ओर पवेल सशा पर | परन्तु पवेल अपने आदशवाद में
उससे विवाह का विचार भी अपने हृदय में नहीं छाता, क्योंकि एक तो वह्द समझता है
कि विवाह कर लेने से, पर-ग्हस्थी के चक्कर में पड़ जाने से वह क्रांतिकारी कार्य फिर
उसी संलग्नता से न कर सकेगा, जिससे वह कर रहा है। दूसरे विवाह करने की उन
दोनों को कभी फुरसत भी नहीं मिल पाती । क्योंकि जब सशा जेल के बाहर होती है तो
पवेल जेल के भीतर होता है और पवेल बाहर होता है तो सशा जेल में होती है। भस्तु,
जीवन इन विचारों से आँखमिचौनी सो खेलता है । नटाशा नाम की एक दूसरी स्त्री है,
जिसको लिटिल रूसी प्रेम करता है । परन्तु क्रान्तिकारी कार्य मे, जिसमे वे दोनों ही लगे
हैं, बाधा पड़ने के डर से वह बेचारा चुप रहता है, और कभी उससे अपना प्रेम प्रकट
तक नहीं करता । वह भी उसले दूर रहने की कोशिश करती है । नटाशा जवान है उसके
हृदय में संगीत हिलोरें लेता है। जिश्षकों वह पियानों की मधुर तानों में बहा देती ই।
मधुरता को उस बेचारी के जीवन में कोई मोका ही नहीं मिलता है, क्योंकि उसने
क्रान्तिकारी परचे मशीनों पर गुप्त स्थानों में स्वयं छापने और जेल और जलावतनी से
भागे हुए क्रान्तिकारियों को गुप्त स्थानों में छिपाने और भगाने का कठोर काये अपने
User Reviews
No Reviews | Add Yours...