जैन प्रभाकर [नम्बर १२] [संवत 1947] [अंक १] | Jain Prabhakar [Nambar 12] [Samvat 1947] [Ank 1]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, पत्रिका / Magazine
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
442
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)8. सर्व भाईयोंसें जिनके पास कि जैन भ्रभाकर पंहुचे प्रार्थनाहे कि
केड्सकों संपर्ण पढ़कर अपने पुत्नमित्रोंको पढ़नेके वास्ते देवेंवें और
मेंदिरंजी वा सभा आदि स्थानोंमें जहां बहुतसे आाव्रग एकत्रहों पढ
कर सनादें॥ आपके शहरकी जाति ओर घम संबंधी नई वाती पत्रमे
छापमेको भेजें॥ जो भाई पत्र लूना चाहे हमें पोस॒कारड भेजकर मंगारें॥
1. जैन प्रभाकरकी सांलयाना कीमत शहरवालोंसे ॥ =) बाहर
वारसि मय डाक महसुल १) ओर एक पुस्तकका -) हे ॥
, १ यह पत्र हर महीने मं छ्यैगा॥ २ वात्सस्य ओर धमं प्रभावना
करता वैरविरोध मटना, वया घन धरणं जातकी उन्नति करना इसके
उदेशडं ই जिन धम्म विरुद रेल पाठोटोकिल वाता मतमतांतरका
बहा इसमें नहीं छपेगा॥
है
ज्ैपर जैन पाठशाला में २९५ 1वेबार्थी हैं ओर ७ वगे ६ वर्ण माला
बालशिक्षा, दशंन, पत्नन, भक्तामरजी, सतज्ी, सारसख॒त शब्द रुपावर्ली
घधातह्पावलो, समासचक्र, प्रश्नोतर श्रावका चार, सतजा के अथ रत्न
कड क्रावकाचार, व्रव्यसंगरह, सिंदर प्रकश, चंद्रप्रभकाव्य, लधकोम दी
द्कतारकःव्य, पराक्षामल, न्यायदीपिका, यस्तस्तिलक कास्य, आदि
'पराण राजबा लिकजी, हिसाब अजक गात, बीजगणित रेखागणित
पटह (ये जा तहे ॥
जैन प्रभाकरके ग्राहकोंस प्राथनाहे कि ऋपाकर पिछले सारूकी
कीमत ओर आगेके साल से १९४८ की कोमत जलदी भजें॥
४
प. जेन महासभाक संहमतम बहुत ভাতা अहह स्थानाभावस
प्रकाश नहा करसक।॥ मूल्य प्रप्त अगरु पत्रम एटखम ५
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