विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु एवं शैतान कल्टर | Vishv Prasidh Aadhyatmik Guru Avam Shaetan Kaltar
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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गुरु एवं रहस्यवाणी संत
शिरडी के साई बाबा, जिनकी क्/ (२
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बीसवीं शताब्दी के अग्रणी 1 “
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एक समय वह था जब साई बावा शिरडी के आसपास के जंगल मे घूमते
रहते थे। उस समय एक श्वद्धाल् देवी बायजा बाई बाबा के लिए भोजन तैयार
करतीं और उसे एक टोकरी में भरकर टोकरी को सिर पर धरे-धरे बाबा की खोज
में जंगल में भटकती रहती थीं। उन्हें खोज लेने पर वे बाबा के चरणों में गिर'पड़तीं
और उन्हें जबरदस्ती भोजन करातीं। बाबा ने शिरडी आने के बाद जीवन भर
उत्तर में निमगांव और दक्षिण में राहाटा के परे पांव नहीं निकाला। शिरडी आने के
बाद जीवन भर वे उसी सीमा-द्षेत्र में संन्यास की अवस्था में रहे। न उन्होंने कभी
रेलगाड़ी देखी, न वे उस पर चढ़े।
सीमोल्लंघन है
सन 1916 की विजयदशमी को बाबा आंवेश में आ गये। शाम के समय जब
उनके भक्तं सीमोल्लंघन समारोह से लौटकर उनके पास इकट्ठा हए तो उन्होने
कोषीन समेत अपने सभी कपडे उतार डाले ओर उन सब को फाड़कर धनी में होम
कर दिया। धनी मे से उठती लपे में साई बाबा दैदीप्थमान हो उठे! वे अपने
भक्तों पर बरस पड, “त॒म लोग अब अपनी आंखों से देख लो ओर स्वयं फंसला कर
लो कि मैं हिन्दू हूं या मुसलमान। उनके भक्त उनके इस आवेशपूर्ण कार्य से सन्न
रह गये और डर गये। उनमें से एक भोगोजी शिन्दे-कोढ़ी भकत-ने हिम्मत
करके बाबा की कमर में कोपीन बांध दी और बाबा की प्रेमपर्वक झिड़कते हुए
कहा, “बाबा! यह सब क्या है? आज सीमोल्लंघन दिवस है। बाबा ने अपना
सटका (छोटा सा डंडा) हाथ में उठाया और उसे जमीन पर पटकते हुए कहा:
आज मेरा भी सीमोल्लंघन (सीमा लांघने का) दिवस है। `
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