वंशभास्कर | Vanshbhaskar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१३) मयुख की इतिश्री २३१६ बादशाह अकवर का सुरत और अहमद नगर को विजथ करना और बुंदी का राज्य दुजञनशाल से छान कर छाद भाई नाज कां सरना २२३१४ इजनशाल का वाद्शाहाी तबला लूटकर उुन्दी आना २३२६ सयूख को हृतिश्ना २३२६ ` दुजनराल का चलमद्र नायक धाडायत खादेत रामपुर प्वकाहकरना आर दृशोर के हाकिस को पराजय देकर बुदा चाना २३२४ दुजेनशाल का सुहष्बतखां को सारकर दिल्ली दी सना को विजय करनारेरे रे८ दी के कुमार दर्जनशाल का अपने पिता छुजन ओर रणमस्तखा का प्राजय देकर दिल्ली जाबा २१३० यूख की हतिशी २२३०७ तु्खाक्रुत्त रामायण क्‌ रचजानं कां सुचना ` २३३८ बूदा का वाद्शाह की छलघात से निकल कर बुन्दी आना और उसका सखतान का पणन२६३ बादशाह अकव॒र की सेना की सहायता से छादे भाई भसप्ज का बुन्द प्र आधिकारी होना और दूदा (दुलननशाल) का बुन्दी ओर [देल्ला के देशका लृटना २३४ आमेर के राजा मानसिंह का काचल के खूबे से आकर मऊको पिजय करना २३६४२ दुजननशाल के कियेहुए युड्धां का गणना च्रार उसका चषसं मरना ररेय हाडा सुजन के किये दान ओर स्थानां की गणना ' ३४५ अपसेर के राजा सानसिंह का आसाम देशा को विजय करके सल्ला दवी की सूति लाना और सानसिंह के पुत्र जगतूखिह का आखसामस से दे हांतः होना २३४४ मयुख की इतिश्री २३४८ जा सानसिंह হ্যা কৃতী कछीति कराने के कारण छ का दानं करना २६४९ इस ग्रंथकर्ता (छूर्म मछ) के बडाउओं का भेकाडं छोड कर उन्दी कपोलः पात दाना २१४६ वदी के राजा सुजन का दृहात आर जन्‍म आाद सचत्‌ २२४७ नाज का न्दा क पाट पर्‌ कठ कर्‌ आगर जाना २३५६७ मयूलख का इातन्ना २२५७५ उदयपुर के महाराणा प्रतापसिंह का बादशाह अकबर के विरुद हो ष यड. करना पौर रपद उठाकर झापंधस की रक्षा करने के कारण




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