अधार दूषण निवारक | Adhar Dushan Nivarak
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(७)
स्तारे ठे व्याधी जोई तेव.
प्र. १०. तमारा कदेवा प्रमाणे कर्मना संजोगघी वधु वने
ञे त्यारे जीव एकतो कां करी इाकतो न्ध ?
ले, जीवनी शक्ति तो अनंती >, पण कर्मने वशरीनूत ठ
त्यांसुधी एफल्ती भ्रात्मानी शाक्तिं चलाव दातो नधी.जेमको-
5 मदोटो राजा रोयनेते फेद पमे 2, त्यारे पोतानुं जोर चा-
ततं नघी, तेम कर्मना वामां जीव पम्यो ठ, त्यांसुधी भात्मा-
नी प्रवृत्ति ्रात्मा जमनी संगत विना करी शकतो লর্জ।,
प्र, ११. कर्मना संवधयी प्रवृत्ति करे ठ त्यारे जीवनी श
करितो न रदी, त्यारे जीव पदार्थं हा सार मानवो লী?
छ. जीव विना जम तो कं पण कर शकवानो नथी.कारण
जे जेनामां जम स्वभावे चतन स्वनावनधी ते श करी शके?जेटली
जेटली विचार दाक्ति ठे ते चेतननी ठे, जम्मा ए स्वज्ाव नयी,
पांचभूत तमे मानो गे ते पण जम 3, तेमां पण विचारशाक्ति
नणी. पांचनूत खावानी रसोकमां पश मले ठे, परण तेमां काह
जीवशक्ति उत्पन्न धती नथी; मटे पाचभूतनी वात्तमां पण बहु
प्रश्न वेते प्रकरण रत्नाकर नाग वीजामां पने १७ मे ना-
्तिकनो संवाद ठ त्यांधी जोवुं. |
प्र. १९. तमे कहो गे के जममां चेतनराक्तिज नघ, त्यारे
तमे परण बुद्धि वधवाने सरस्वती चूएं खवमावो गे. वी राख-
मां पण वज रूषञ्च नाराच संघयण होय तो कपकभ्रेणी मांझी
के, व्ली “ प्रश्नोत्तर रत्न चिंतामणि मां पश यात्राना फल-
मां सार पुज्ल् फरसवा्थी सारी बुद्धि थाय एम जणाव्युं के. ते
जमनी शक्तिथी केम बने वे ?
छल. जम छे तेनी शक्ति ज्यांसुधी कर्म सहित जीव के ने
कमे करी आत्मानों स्वन्नाव अवराई गयो छठे, ते आवरण करना-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...