सूत की माला | Sut Ki Mala

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Book Image : सूत की माला  - Sut Ki Mala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चुत की माला ( २) नाम के अलः आजाद हम हं देश की एकता खो गई हें, क्या इसी पर खुशी हम मनाएँ, एक की क़ौम दो हों गई हें, * लाखहा खो चुके जान अपनी, लाखहा : वन चुके हें भिखारी, हर जगह आज हेवान जागा, आदमीयत कहीं सो गई हैं जोकि वोया जहर था घृणा का, आज चारों तरफ़ फट रहा हें, देद मे अखि फरो कहीं भी, सामनं ददं-ड्वा नजारा । उठ गए আজ वाप्‌ हमारे, भकं गया आज भंडा हमारा!




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