हिन्दी भाषा का इतिहास | Hindi Bhasa Ka Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्ड हिंदी माषा का इतिहास प्रस्तुत हिंदी भाषा का इतिहास इस विषय पर हिंदी में एक विस्तृत तथा पूर्ण ग्रंथ की आवश्यकता की पूर्ति के प्रयास-स्वरूप है। हिंदी भाषा के इस इतिहास की सामग्री का मुख्य आधार गत साठ-सत्तर वर्ष के अंदर यूरोपीय तथ। भारतीय विद्वानों द्वारा किया गया आधुनिक भारतीय आयंभाषाओं से संबंध रखने वाला वह कार्य हैं जिसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका हैं। पुस्तक में यथा- स्थान भिन्न-भिन्न विद्वानों के मतों का उल्लेख स्थल-निर्देश सहित बराबर किया गया हैं। बीम्स, हानंली तथा चेटर्जी के ऐतिहासिक अंशों से विशेष सहायता ली गई हू, साथ ही पत्रिकाओं में लेखों के रूप में फली हुईं सामग्री का भौ यथासंभव उपयोग किया गया ह्‌ । पुस्तक का विषय-विभाग तथा विषय-विवेचन का क्रम चटर्जी को पुस्तक के ढंग पर रक्वा गया हं । हिद ध्वनियो का वणन सक्मेना के अवधी ध्वनियों के वर्णन को नेली पर हं। आधूनिक साहित्यिक खड़ीबोली हिंदी क॑ व्याकरण के ढाँचे को हिंदी की बॉगियों में प्रतिनिधि स्वरूप मानकर प्रस्तुत-ग्रथ में उसी के रूपों का विस्तत इतिहास देने का प्रयत्न किया गया हैं । ब्रज तथा अवधी बोडियों से संबंध रखने वाली विशेष ऐतिहासिक सामग्री संक्षप में दी गई है । अन्य आधुनिक भारतीय आयंभाषाओं से संबंध रखने वाली तु उना- त्मक सामग्री प्रस्तुत-पुस्तक के क्षेत्र के बाहर पड़ती हैँ, अतः यह बिल्कुल ही नहीं दी गई हे। आरंभ मे एक विस्तत भूमिका का देना आवश्यक प्रतीत हुआ। इसमें हिंदी भाषा तथा उसकी सम- कालीन और पूर्वकालीन भारतीय आयंभाषाओं का वर्णनात्मक परिचय है। भूमिका का मुख्य आधार ग्रियसंन की भाषा-सर्वे की भूमिका मे पाड जाने वाली सामग्री हैं जिसका उल्लेख ऊपर किया जा चुका हैं। भूमिका तथा मूल ग्रंथ में कुछ अंग ऐसे भी हे जो साधारणतया हिंदी भाषा के इतिहास से संबंध रखने वाले ग्रंथ में नहीं होने चाहिए थे, जंसे भूमिका में संसार की भाषाओं का वर्गी- करण अथवा मूल-ग्रंथ में हिंदी ध्वनिसमूह' शीर्षक पहला ही




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