मेरा धर्म | Mera Dharam

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Mera Dharam by गाँधीजी - Gandhijiभारतन कुमारप्पा - Bhartan Kumarappa

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भारतन कुमारप्पा - Bhartan Kumarappa

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मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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আাতম্মা্জাদ ९ ये। मर्यं नेभे कारण ओैसी जघरफि समय मै अक्सर हाजिर रहता या। भिस सारे वातरावरमका प्रमाव मुझ्त पर यह पड़ा कि मुझमें छव অমীষি ভিজ समान भाव दाहो ग्या! ओक भीसामी धर्म मपवादस्प पा । आसके प्रति मुझे कुछ अदच्ि थी। आम दिनों कुछ आऔसाओी हाओऔीस्कूछके कोने पर श्ड़ होकर म्याक््यान दिया करते थे। वे हिन्दू देवताओकी और हिन्दू घर्मको माननेवाक्षोंकी दुरामी करते थे। मुझे यह असह्य मालूम हुआ। में ओकाघ वार ही ब्यास्यान घुननेके छिमे शड़ा रहा होमूंगा। दूसरी बार फिर वहां क्षड़े रहनेकी मिच्छा ही न हुओ। भुन्हीं विनो লক্ষ प्रसिद्ध हिन्दूके ओऔसामी बननेकी बात सूनी। गांवमें चर्चा थी कि अुरहें क्रीसाओ घर्मकी दीक्षा देते समग मरामांस चिराया शया मौर श्राव पिरायी मञी। भूनकी पोष्ठाक् मी ग्रबझ दी ग्सी और मीसासी अननेके बाद बे कोट-पतसून जीर अंग्रेजी टोप पहनने छगे। झित वातोंसे मुझे पीड़ा पहुची। जिस धर्मके कारण गोमांस ल्वाना पड़े, एराब पीनी पडे शौर अपनी पोशाक बदसनी पडे, জু জম ছবি কা সান? मेरे मनने यह दछीझ की। फिर यह भी धुननेमें भाया कि भो मामी भीसामी बने मे शुन्होनि मपने पूवजेकरि धर्मकी रीति-रिबाजोंगी और देफ़की भिन्‍दा करमा शुरू कर दिया था। मिन छब वातांसे मेरे मनर्में भीसाओ परमके प्रति सनि मूस्पञ्म हो गमी । भिस तरह मच्यपि दूखरे पमि प्रधि मलमं खममाब जागा फिर শী मह॒ महीं कषा जा सक्ता कि मूक्ष्मे मीषबरफे प्रति मस्या थो। पर भेक जीजने मनमे लड़ जमा छी -- यह्‌ ससार मीषिपर टिका हुआ है। नीतिमाजका समाबेश्त सरयमें होता है। सत्यको तो ज्ोबना ही होगा। दिम-पर-दिन सल्यकी महिमा मरे लिकट बढ़ती गयी। सत्यकी ब्याक्या विस्तृत होती गज और अमी मी हो रही है। भिसफे सिवा मीत्तिका मेक छप रिम बस गमा । मपकारका बदरा भपकार महीं सुपकार ही हो सक्ता है यह ओक जीवस-सूथ ही बन गया । शसने मू पर साज्नान्य चछाता शुरू किया। अपकारीका मछा हूना मौर करना, मिसका में अनुरागी बन गया। जिसके सनग्रिनत प्रमोग मेने किये। वह अमत्कारी छप्पय यहू है




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