लोकप्रिय इतिहास - काव्य और पुराण | Lokpriya Itihas - Kavya Or Puran
श्रेणी : इतिहास / History, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
293
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लोकप्रिय इतिद्ाख--काव्य ओर पुराण ५
इतिहास-कविताएँ सुरक्षित चली आती थी। शायद इतिहास-कान्य त्रियो के साथ
नजदीकी सम्बन्ध रखने वाले भायों की मण्डली में ही उत्पन्न हुओ होगा | इनके
अलावा घुमन्तू गायक भी होते थे जिन्हे कुशील्व कहते थे | ये गीतो को याद करके
वाद्य के साथ छोगो मे गाया करते थे। इन्ही के कारण जनता में वीर-गीतों का
प्रचार हुआ | रामायण मे वर्णित है (भछे ही बाद के प्रक्षिप्त अंश में)' कि कैसे राम
के दोनो पुत्र श ओर र्व घुमन्तू गायकों की तरह धूमा करते थे ओर लोगो की
सभाओं मे कवि वात्मीकि की कवित्ताओं को रटकरः गाया करते थे 1 |
জিন महामारत ओर रामायण को हम भारतीयों के लोकप्रिय इतिहास-काव्य
के नाम से जानते है वे प्राचीन दरवारी गायको और घुमन्तू भागे द्वारा अपने वर्तमान
रूप मे नहीं गाए जाते रहे | महाकवियों या कम से कम उन चढुर सग्रहकर्ताओं द्वारा,
जिनमे कविता की थोड़ी-बहुत प्रतिभा रही होगी, ये एकाकार रूप में सगहीत नहीं
किए, गए; | पर इनमे लगातार प्रक्षेगो और परिबतंनी के कारण शताब्दियो के दौरान
असमान मूल्य वाली कविताएँ, एकत्र होती गई | यद्यपि इन दोनो इतियो के केन्द्र
प्राचीन वीर-गीत हैं त्थापि भक्ति-परक इतिहास-साहित्य इनमें इतना सम्मिलित कर
दिया गया, रूम्बी धार्मिक, नैतिक कविताओं को इसमें इतना अधिक घुसा दिया गया
कि विशेषकर महाभारत का तो इतिहास-काव्यत्व ही प्राय नष्ट हो गया ।
महाभारत क्या है £
बड़े सीमित अर्थ मे ही हम महाभारत को “इतिहासः ओर काव्यः कह सकते
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आधुनिक भाठों को तुछना सूतो से करते हैं। आज के भादों ओर अन्य गायको
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226. 011९171, 3७ ४०४९ 19011 प्रचुर पर दुर्भाग्य से विशालकाय विपय-
অহ 4১, 17012100800) 1095 0125757005729, 000. 5996 789
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