हिटलर के कैदखाने में | Hitlar Ke Kaidkhane Mein

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Hitlar Ke Dakhane Mein by श्री राज किशोर - Shree Raj Kishor

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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€( ছল ) सके | उनको वकील करने की मी आजा नहीं मिली और न उनकी कोई बात ही नहीं सुनी गई । २४ अप ल सुबह मर वे व्यायाम के समय की बाट देखते रहे | उनके उदासीन जीवन में यही एक परिवर्तव था | इस समय वे अपने कमरे के साथियों के साथ इवर उधर घूमकर वात-चीत कर सकते थे । काउट स्ट्राकविज व्यायाम के समय को “दोपहर का शेयर बाजार” कह कर पुकाराता था । स्टीफैन सोचता था कि यह नाम विल्कुन्न ठीक है और दृश्य भी शेयर बाजार से बिल्कुल मिलता जुलता है | अन्तर केवल यही है कि कैदी शेयर का व्यापार नहीं करते । उनका व्यापार समाचारों का है। जब अच्छी २ खबगे होती हैं तो बाजार चढ़ जाता है , और जब खराब खबर होती है, तो बाजार भाव गिर जाता है। ये भाव मनो- विज्ञान से सम्बन्ध रखते हैं | वे कैदियों जल्दी छूटने की आशाए हैं। एक कैदी को पत्र मिला जिसमे लिखा हुआ था-- “मैने राजनीतिक पुलिस के अव्यज्ष से बाते की है | उसने जल्दी से जल्दी मामले की जाच करने का वायंदा कर लिया है |” इस खबर से बाजार मे सनमनी फेल गई । सब कैदी खुशी से पागल हो गये और स्वतत्रता करा स्वप्न देखने लगे, अगर उनमे से कोई एक आदमी छूट जावे, तो सब को आशा 'होने लगती कि अब शायद उनकी रिहाई का नम्बर आये--सब अपने को आजाद समफने लगते ये । परन्तु जब कभी वे गोरिग का व्याख्यान राज्य के शत्रुओं के खिलाफ पढते, तो उन पर निराशा छा जाती--बाजार-भाव जमीन चाटने लगता । | दोपहर का शेयर सार्केट ही सब कैदियोके स्वभाव को निर्धारित




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