साहित्य - परिचय | Sahitya - Parichya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
115
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९,
शब्द दवितियाँ तीन हैँ--- १. अभिधा २. चकषणा ओर ३. व्यंजना ।
अभिधा से शब्दके साधारणं अका बोधं होतार) शब्दोको सुनतेही यदि
` अुसके अर्थक बोध हो जाभे तो यह अुस्तकी अभिधा शक्तिका कार्यं हुआ ।
अदाहरणके लिओ हम गाय, मेज, आदमी, शेर आदि शब्दोंकों ले सकते
हैं। जिन शब्दोंके सुनते ही हमारे मनमें जो चित्र खड़ा होगा वह सभीके मन में
| लगभग अक सा ही होगा । गाय साने चार पैरका अंक
कब्द अंसा पशु जो दूध देता हो, जिसके दो सींग हों, ধৃত হী
शक्तियाँ आदि-आदि | असी तरह आदमी और शेर आदि शब्दोंसे
| विशिष्ट जीवोंका ज्ञान होगा । यह स्रवेसाधारणतया
कोषः, व्याकरण तथां जिन शब्दोंका व्यवहार करनेवाले सर्व-साधारण लोगोंसे
जाना जा सकता है | अतः यह अर्थ अमिधेय अथवा बाच्याथथें कहलाओगा
और दब्दंकी यह शक्ति अभिधा शक्ति कहलाओंगी ।
शब्दके प्रधान या मुख्य अर्थको छोड़कर किसी दूसरे अर्थंकी लिस-
लिओ . कल्पता करनी पड़े कि अर्थ ठीक वैठ जाअं वर्ह लक्षणा होती है ।
जब शब्दके अकसे अधिक अर्थ होते हों ओर वाक्यके अ्थंको ठीक
समझनेके लिओे विशिष्ट अथंको संमस्नेका प्रयत्न करना पड़े वहाँ
लक्ष्याथं होता है गौर शब्दकीौ शर्विते लक्षणा कहा अंगी जंसे--
.. “लाला लाजपतराय पंजाबके शेर थे ।” यहाँ निश्चय ही शोर शब्द
अपने सामान्य अथरम प्रयुक्त नहीं हुआ है | आदमी शेर नहीं हो सकता ।
यहाँ दोर शब्दका अपबयोग करके अेक विशेष प्रकारका चमत्कार अंत्पन्नं `
किया गया है। शेरसे यहाँ अर्थ है शेरके समान वीर, साहसी; तिडर, निर्भीक ।
जब मुख्यार्थंके साथ-साथ शब्दका और भी कोओ अर्थ प्रकट होता हो तो
असे लकष्पा् कहते हैं ।
तीसरी शक्ति व्यजना है। अभिधा और लक्षणा द्वारा व्यक्त
होनेवाले अर्थक्े अलावा यदि और ही किसी अन्य अर्थमें शब्दका प्रयोग
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