प्रेयरी नगर का बालक | Preyaree Nagar Ka Balak
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
79 MB
कुल पष्ठ :
243
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
कार्ल सैंडबर्ग - Karl Sandbarg
No Information available about कार्ल सैंडबर्ग - Karl Sandbarg
हरवंश राय शर्मा - Harvansh Ray Sharma
No Information available about हरवंश राय शर्मा - Harvansh Ray Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ प्रेयसे नगर का बालक
थे यद्यपि प्रायः वह् स्थ, आकार, घोडों को आदतों ओर अनाज
का अध्ययन करना पसन्द करते थे। वह तक करनेवाले व्यक्ति
नहीं थे परन्तु हल से वह कठोर भूमि और चमड़े की गाम को
शक्तिशाली हाथों से पकड़कर भगेड़ ঘীভী জ বক कर सकते थे।
रविवार को घोड़ी को हलकी गाड़ी में जोत कर परिवार
को एक या दो मील की दूरी पर लूथरन चर्च में ले जाने से
वह प्रायः नहीं चूकते थे। मुझे संदेह है कि उन्होंने कभी किसी
ऐसे पादरी का प्रवचन सुना होगा जो उनकी अपेक्षा कम भय
और अधिक विद्वासं रखता हो । कभी-कभी में सोचता हूँ कि
जान क्रेन्स ईश्वर का चित्रण एक कृषक के रूप में करते थे जिसके
धर-गृहस्थी के काम अनन्त ओौर अचिन्त्य हैं जो इस संसार तथा'
इससे परे अन्य संसारों में अपनी फसलें ऐसे रहस्यपूर्ण ढंग से बोता
है, उनकी देख-रेख करता है और काटता ह कि मानव बृद्धि उसे
नहीं समझ सकती।
क्रेन््स लोगों के पास लकड़ी का धान्यागार था जिसका फर्श
कच्चा था। उनके यहाँ तीन घोड़े ओर चार गायें थीं जो प्रातःकाल
निकटस्थ चरागाह में हाँक दिये जाते थे और संध्या समय फिर
वापस हाँक लाये जाते थे। यहाँ हमने हाथों से दूध निकालते हुए
और दूध की धार को मढठकों में जाते हुए देखा। यह मटके एक
ढाल पर चढ़कर तीस गज की दूरी पर स्थित घर को ले जाये
जाते थे। वहाँ तहखाने में साफ और मिट्टी का कड़ा फर्श था।
उसमें तख्तों के टॉड़ बने हुए थे जिन पर मिट्टी के घड़े रक््खे
थे। दूध इन्हीं घड़ों में उँडेल दिया जाता था। हम इन मिट्टी के
घड़ों के मुंह पर पीली मलाई देखते थे और हमने एक बार मलाई
को मथकर बनाया हुआ मक्खन भी देखा। यहाँ पहली बार हमने
User Reviews
No Reviews | Add Yours...