उत्खनित इतिहास | History Unearthed

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History Unearthed by सर लियोनाड वुली - Sir Liyonaad Vuli

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तिम्रद ভি मे फिर থা হিঘা বাসা ই, শীত লিজুহ অর্ুললি নাকি হীন্য হাজসাজাহ के উর को ठीक वैसे ही देख सकते है जसे वह्‌ असुर सम्राट्‌ के समय मे दीखता था 1 प्र भी साफ दीखता है--एक विशाल सुरक्षात्मक दीवार से घिरा हुआ डेढ वर्गमील का क्षेत्र, जिसके दक्षिण- पश्चिम मे दजलछा नदी से चालीस फुट की ऊँचाई तक उठा हुआ ऐक्रोपोलिस है, जिसकी कच्ची इंटो की चहारदीवारी पानी की तरफ विदश्ञाल पत्थरो के घाट पर टिकी है। रुगभग 800 ईसा पूवं तक मन्दिर, प्रासाद तथा अधिक महत्त्व के अफसरो के भवन ऐक्रोपोलिस मे केन्द्रित थे, परवर्ती समय मे नये राजसी भवन नगर के बाहरी भाग मे फल गये, जहाँ पाकं थे तथा चिडियाघर तक था । एक नये ओर विशिष्ट अभिलेख मे असुर नासिर पाल द्वारा अपने प्रासाद के निर्माण तथा कार्य-समाप्ति पर दिये गये भोज का वर्णन है--“सभी देशो के चौसठ हजार पाच रौ चौदत्तर सुखी व्यक्तियो को मैने दस दिन तक भोज कराया, शराव पिलाई, स्नान कराया ओौर सम्मानित किया, ओर तब शान्ति गौर सुखमूर्वैक उनके घरो की ओर रवाना कर दिया ।* इसी अभिलेख मे चिडियाघर के जानवरो की सूची भी दी गयी । मृद्फलको की प्राप्ति की आशा पूरी हुई। उत्तर-पश्चिमी प्रासाद के प्रणासनिक विभाग से कराधान और व्यापार, कृषि, पुनर्स्थापन योजनाओ, तथा असुर राज्य व सूवो के सम्बन्ध मे सम्राट्‌ के नाम प्रशासनिक प्रइनो की रिपोर्टो से सम्बद्ध बहुसख्यक प्रेख मिले, नवू मन्दिर से भजन, मत्र और शुभाशुभ लक्षण, तथा चिकित्सा सम्बन्धी पाट्य मिले, तथा मन्दिर के साथ जुडे हुए सिहासन- कक्ष से अब तक ज्ञात सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण फलक प्राप्त हुए, जिनमे असुर सम्राट ईसरहैडन द्वारा ईरान तथा अन्य पडोसी राज्यों के शासकों के साथ की गयी सन्धियो का वर्णन है । नये उत्खननो मे प्राप्त अभिलेखो से विभिन्न भवनो का कालक्रम सनन्‍्तोषप्रद ढग से स्थापित किया जा सका है, तथा असुर साम्राज्य के परवर्ती कार के बारे मे शुद्ध ओर विस्तृत जानकारी के फलस्वरूप हमारे ज्ञान मे वुद्धि हई है; मंरोवान के कथनानुसार, मृद्फकको से हमे “शासको ओौर शासितो उनकी समृद्धि और गरीबी, उनके विवेक और अविवेक के बारे मे नयी दृष्टि प्राप्त होती है । मं और कला के प्रति अशदान भी कम महत्त्वपूर्ण नही है। लायाडे अपने साथ कुछ नक्काशी- दार हाथीदाँत की वस्तुएँ, जो टूटी-फुटी और खराब दशा मे थी, छाया था। उनमे से अठारह को मरम्मत करके प्रदर्शित किया गया । लायाडे के बाद, लोफ्टस ने 1854-5 मे निम्न मे एक मौसम का कार्य किया था और उसे अधिक सख्या मे हाथीदाँत की वस्तुएँ मिली थी। “मिले-जुले, निस्तप्त और अक्सर मुश्किल से पहचाने जा सकने वाले खडो का यह विशाल ढेर' ब्रिटिश सग्रहालय मे रूग- भग एक शताब्दी तक भडार मे पडा रहा; तब उन्हे साफ करके एक-दूसरे मे बेठाने का काम हाथ मे लिया गया, किन्तु काम समाप्त हो जाने पर भी सग्रह का अधिकाश कला-प्रेमियो से अधिक अध्येताओ की पसन्द का था बहुत कम नमूने अपनी असली शक्ल के आसपास पहुँच सके थे । आधुनिक उत्खननो से बहुसख्यक अमूल्य हाथीदांत की नवकाजियाँ प्राप्त हुई हैं। इनमे से अनेक खडित हैं; 612 ईसा पूर्व मे जब मीडीज ने कलाह के प्रासादो को ध्वस्त किया और जला डाला था,




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