शिशु परिचर्या और बच्चों की देखभाल | Sisu Parichay Aur Bachon Ki Dekhbhal

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घनश्याम राय - Ghanshyam Rai

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श्यामराय भटनागर - Shyamray Bhatnagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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परे जीवन यो अमरता है। दिए थी हुसरी बातो में भा ही गय क्या थे दित्रा शाय इस काम पे साथी य धूल ७ भी ग॒ छ दे । ४ ध्यर्थ पी ग्रीश से सभी पो पोशानी “रद হানি ল্য আছ? ক্যান লা বিঃ পি গা জাহাজে সা হী লন হা মহ দান £ कि उा्ट भर आगी पल उसी आयी छोर मय यायभा थो ঢা +ना पटे) ঘর হীন টি ট্রি ঘা দল দ্যারহোহিক শী पर हो नहीं बरप शिद्धात रूप से শীলা টা লদর্মা। কমা মী আহার 7 জান হন मि শশরা মাল শিকল हैं शौच आए दी य सुसमुविधा पे बागारग्ण में दो पड़ी सौय लोग पटुँच শী কান 7 বি মী মা মেন দহন দিত इसमें पहल जैसा पृष आनई ही नएी आता है। पहल्ला बह्या होने पर शुरू चुरू फे दिलों ये एगा द्वार स्थामाविक ऐ ६ कादि यद समर एणः पी दात है और उन सास समय इसीम एग छाता है। पर यु चरूर्त से ज्याटा ইশ उनरेण्ना ततो माका पति भीर 7 इच्चे के ही रित में है। মান্দা अपने आपरीा इसमे इतना ठउलशा लत ई और रतः व्यस्त हो जाते हैं कि आहरी लोग में ठयको और डागें याहरी लागा पो आनन्द व मनोरजन ইনি দাই নী पी पिल्नती। यही तक हि थे पति पत्नी प तौर पर भी एक दूसरे भें जो रस पहले लते थे यह मी नहीं प्रिल पाता है । ये एम बरिश ये है? से मन ही मन छातातें हैं। गद् एक ऐसी बरिश है जिसे ठाद्दोत तुट ही निरधर अपरी पर लाद रफ्ी है। इसये कारण वे बच्चे ये प्रति भी सीझो लगते हैं। उस बच्चे ते तो कभी इनसे यह यहीं चाद्ा कि খ ভরা উর दुनिया भर थी दूसरी सभी यार्त ही भुला बैठ । बचे पर इतना अधिड स्यान देन पे कारम मा बाप ठससे बहुत दी अधिऊ पाने दी आशा पर भेठने हैं। इस तरद सय बुछ उलटपुलद हो जाता है। वास्तव में एसी वई बातों मे गतुलन यनाये सपा ये लिए यद्द जस्री है कि अच्चे थी ओर इतना द्वी ष्यात्‌ न्वा चाय्‌ जितना कि बास्तय मे उसके निए ज्रौ है। मावाप चच्चे फी दंसरेख के अलाश अपने आमादप्रमोट, गपशप ये मुलपुरिधा वा समय भी विताल समझते हैं। इस तरह आप बअस्चे को अधिक प्यार भी कर सकग और जय आप उच्चे के साथ हांग तो बद्द भी यह सरलता से देव सकेगा क्रि माप उमे पूरा पृग स्नेह दे रद हैं। ६ मा-याप छारा बच्चो से भी बदले में कुछ चातो फी आशा रखना -मान्चाप मी इसके बल्ले में बच्चे से घुछ बातों के पूरी किये जाने क्‌ 4७




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