हिन्दी विश्वकोष भाग 22 | Hindi Vishvakoshh Bhag 22

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Hindi Vishvakoshh Bhag 22 by नगेन्द्रनाथ बसु - Nagendranath Basu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1२ वदीटोसेन--बौद्ध यतिभेद । थे घीरसेन नामसे भी परि- चित थे। वीयाहारो--पएक यक्षका नाम, जो दुः्सद् नामक यक्षक्री कन्वाके गर्भसे किसी सोरके वीर्यासे उत्पन्न हुओ था। कहते हैं, कि जो लोग कवदाचारो होते हैं या बिना हाथ पैर धोये रसोई घरमें जाते हैं, उनके घरमें यह यक्ष सपने ओर दो भाइयोंके साथ रहता है। सिवा हसके जिसके घरमें रात दिन कगडा विवाद दाता है, वहां ओर गाय आदि पशुभोके चरागाहमें सथा खलिद्वानमें भी इनकी ' गतिविधि रहती है। वीर्या तण्य ( स'० पु०) जैनधमके अनुसार वह पापकम जिसका उदय होने पर जीव हृष्टपुष्ट रहते हुए भो शक्ति विद्दीन है। जाता है भर कुछ पराक्रम नही कर सकता । মীনা ( ল'০ হর্সা০) बीते अनयेति धृ-यत्‌ (अनो यत्‌ इति यत्‌ ततष्टप्‌ ) षीस | (मरत) बीर्यावत्‌ { सं ० वि० ) षीयेवत्‌ । बीवध्र (स०पु०) ९ धाम्यतरड़ल्टादि, चावल आदि अन्न । (भाष २६१४) २ पथ । ( भरत ) ३ क्षीर आविका भार। ( शब्दरत्ना७ ) ४ वासा | वौवेधिक ( सऽ जलि० ) षोषघेन हरतीति विवध-ठन्‌ ( विभाषा वीवध बिवधात्‌ । काँयरि ढहोनेयाला । घोबर ( ८४५८ )-खन।|मख्यात जन्तुधिशेष । वोसर्प ( स'० पु० ) विसर्प देखो । वोहार (स ° पु० ) विहरन्त्यत्रेति वि ह-घतन्न उपसग्गस्य दीध!। १महालय,बोद्धमन्दिर । २ विहार | बुजन-?१ मुद्रित द्वोना । २ छिठ्र या गड़ढेका भरवा देना । पा ४।४।१७ ) भारयाहक, धुभकन--र ज्ञातकरण, अनाना। २ साम्त्वना वाक्‍्यसे शोकाहमिभूत व्यक्तिका सुरुथ करना | धघुद्धि (स ० खीऽ ) बुध-क्तिन्‌। मत्माक्ा गुणविशेष । पबगेका बुद्धि शब्द देखो । | घद्दण (सं ० लि०) वहिल्‍यु | पुष्टिकारक | ( शब्दच० ) बीयसेन--हकदेवा भुई कुम्दड़ा। ( वेद्रकनि० )६ वराहमांसमें पकाया যা | ( चरक सुत्रस्था० २अ०) व 'हणवस्ति (स'० स्री०) निरुह वस्तिमेव्‌ । ( भवप्र० ) ब'हणोयवर्ग ( सं० पु० ) व 'हणजन्य हितकर कषायवर्ग, द्रव्यभणमभेद, यह गण जैसे--क्षीरलता, क्षीराई, बेड़ ला, काकालो, क्षोरकाकाली, श्वेतबेड़ ला, पीतयेड छा, बन- फपास, भूमिकुष्माएड । ( चरक सूत्रल्था० ४ भ० ) घह्ित ( स'० क्लो० ) व दि-क्त। हस्तिगजेन, दाथोका खिंघाड़। पर्याय-- करिगजित । घक्र ( स॑० पु० ) ब णे।तोति व, ( सबृम्शुषिमुषिभ्यः कक । उण॒ ३।४१) १ कुत्त क आकारवाला, हरिणका मारने- वाला जन्‍्तुविशेष | हुंडार, भेडियां | (राजनि० ) २ काक | ( उज्ज्वन्न ) ३ पेतक । ४ वकव क्ष | ५ गाल, श्यार, गदड । (मनु 5८।२३५ ) ६ क्षतिय । ও আহ। ८ षञ्ज । ६ अगस्तका पेड। १० गंधाविरेोजञा। ११ सरल- द्र्व। वककर्मन ( हां० पु०) एक अखुरका नाम | व.कखणड़ ( स० पु० ) पक प्राचीन ऋषिका नाम । बकगर्त ( सं: छ्ी० ) एक प्राच्चोन ज्नपदका नाम । वृकप्राह (सं० पु०) पक प्रा्ोन ऋषिका नाम । वा प्राह्टिक देखो । बृकजम्भ ( स ० पु०) एक प्राखोन ऋषिका नाम । बाक॑अम्म देखो । वृकतात्‌ ( सं० ख्त्रो० ) १ व॒ुककी तरद हिंस्लस्वभाषापश्ष । ( ्रूक २।२४। & साय्या) वुकति (सं० ख्री०) अत्यन्त कृपण | २ निष्ठुर, डाकू, हत्या. कारोी। ३ जीमूतके एक पुत्रका नाम। ४ कष्णके एक पुलका नाम । ( हरिवंश) वुकतेजस ( स ० प°) श्लिप्टिके एक पुलका नाम । खकदेत (स'० पु० ) पुराणानुस!र एक राक्षसका नाम । इसको कन्या सानन्दिनी कुम्मऋणंको घ्याद्दी थी । घृकदस ( स'० पु०) घ॒कान दशतीति दनश अण्‌ । कुत्ता । (ইন) बकदीध्ति ( स' ० ख््री० ) कृष्ण के पक पुल्रका नाम | घकदैव -- वसुद्रेवके पक पुलका नाम । (हइणिश) २ एक प्रकारका भूमपान | (মানস) ( खी०) बुकदेया (स ० खोर) व.कदषो, देवकको कन्था मीर बसु- ३ अध्यगस्था | ४ कविलद्वाक्षा, मुनका | ५ भूमिकुप्माएड, देवकी पत्नोफा दूसरा नाम |




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