प्रणय पत्रिका | Pranay Patrika
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
135
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रणय पत्रिका
* द
सौरभ के बोभे से अपनी
चाल समीरण साधे,
कुछ न कहो इस वक्त उसे,वह
स्वर्गं उठाए काधि,
बंधी हुई मेरी कुछ साँसों
से भी मीठी सुधियाँ,
जो बीत चुकी क्या उसकी याद दिला)
क्या गाऊँ जो में तेरे मन को भा जाऊं ।
(४)
भरा-पुरा जो रहा जगत सं
उसने ही मुँह खोला, |
एक अभावों की घडियों में
भाव-भरा में बोला,
इसीलिए जब गांता हूँ में
मौन प्रकृति हो जाती,
लोकिक सुख चाहे दैवी पीर जगाऊँ ॥
না বাত আ में तेरे मन को भा जाऊे ॥
२१५
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