मेरा सपना | Mera Sapna
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
153
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शम-कृष्ण की संस्कृतियो के
वीर वंशधर बोलो इस क्षण;
जीवन-धन मिल रहा शून्य में
लुप्त हुये जाते गौरव क्षण!
सोन होरहे हो क्यो इस विधि
न्धकार क्या छा जावेंगा ?
बीरो का इतिहास आज क्या
क्षण भर में ही मिठ जावेंगा ?
किससे पुष् क्या कहूं हाय,
अब पास नहीं मेरे कोई 11
आग लग रही भीतर बाहर
मति गति धृति सब कुछ ই खोई ।
पाठक देखे, कितनी विकलता है इन भावोद्गारो मे । जब कवि एक द्रष्टा की भाति
कहता है :
बुझा न्याय का दीप, खड़ा है
मानव आज अकेला पथ पर;
दूर कहीं उस पार देखता
रुड>मुंड का मेला पथ पर।
चांद गगन में आता जाता,
किन्तु न अब वह सुस्काता हैं;
जलता रहता सूर्य गगन में
पर न प्रकाश जगत पाता है।
आज के युद्ध-लिप्सु संसार का त्राप्दायक चित्र आंखों के सामने नाच उठता
है । कवि अत्यन्त भाव-प्रवण है । इसी लिये जब सारा जग हिसा के विविध सम्मोहक एवं
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