संपूर्ण गांधी वाङ्मय [भाग 56] | Sampurna Gandhi Vanmaya [Part 56]

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Sampurna Gandhi Vanmaya [Part 56] by मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पाठकोंको सूचना हिन्दीकी जो सामग्री हमे गाधीजीके स्वाक्षरोमे मिली है, उसे अविकल रूपमें दिया गया है। किन्तु दूसरो द्वारा सम्पादित उनके भाषण अथवा लेख आदियें हिज्जोकी स्पष्ट भूले सुधार दी गईं है। अंग्रेजी और गुजरातीसे अनुवाद करते समय उसे यथासम्भव मूलके समीप रखनेका पूरा प्रयत्न किया गया है, किन्तु साथ ही भाषाको सुपाट्य बनानेका भी पुरा ध्यान रखा गया है। जो अनुवाद हमे प्राप्त हो सके है, उनका हमने मूलसे मिकान और सश्योधन करनेके बाद उपयोग किया है। नामोको सामात्य उच्चारणके अनुसार ही लिखनेकी नीतिका पालन किया ग्रया है। जिन नामोंके उच्चारणमे संशय था, उनको वैसा ही लिखा गया है जसा गाधीजीने अपने गुजराती छेखोंमे लिखा है। मूल सामग्रीके बीच चौकोर कोष्ठकोमे दिये गये अंश सम्पादकीय है । गांधीजीने किसी लेख, भाषण, आदिका जो अंश मूछ रूपमे उद्धृत किया है, वह हाशिया छोड़कर गहरी स्थाहीमे छापा गया है। छेकिन यदि ऐसा कोई अंश उन्होने अनूदित करके दिया है तो उसका हिन्दी अनुवाद हाशिया छोडकर साधारण टाइपमें छापा गया है। भाषणोकी परोक्ष रिपोर्ट तथा वे शाब्द जों गाधीजीके कहे हुए नहीं है, बिना हाशिया छोडे गहरी स्याहीमे छपे गये ह । भाषणो गौर भेठकी रिपोर्टोके उन अंशोमें जो गांधीजीके नहीं है, कुछ परिवर्तत किया गया है और कही-कही कुछ छोड़ भी दिया गया है। लीषेककी लेखन-तिथि दाये कोनेमे ऊपर दे दी गईं है; जहाँ वह उपलब्ध नही है वहं अनूमानसे निर्िचित तिथि चौकोर कोष्ठकोमे दी गई है गौर आवश्यक होनेपर उसका कारण स्पष्ट कर दिया गया दै । जिन पत्नोंमे केवछ मास या वर्षका उल्लेख है उन्हे आवश्यकतानुसार मास या व्षके अन्तमे रखा गया ह । सीर्षकके जन्तमं साघन-सूत्रके साथ दी गई तिथि प्रकादनकी है । गाधीजीकी सम्पादकीय टिप्पणियां » और छेख, जहां उनकी लेखन-तिथि उपलब्ध है अथवा जहाँ किसी दृढ़ आधार पर उसका अनुमान किया जा सका है, वहाँ लेखन-तिथिके अनुसार और जहाँ ऐसा सम्भव नही हुआ है, वहाँ उनकी प्रकाशन-तिथिके अनुसार दिये गये है। साधन-ूत्रोमे ` एस एन० ' संकेत साबरमती संग्रहालय, अहमदाबादमें उपलब्ध सामग्रीका, 'जी० एन० ' गांधी स्मारक निधि और संग्रहालय, नई 'दिल्लीमे उपरूब्ध प्रह




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