पादप कोशिका | Padap Koshika

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पादप कोशिका / ६. सायटोप्लाज्म में पाया जाता है । वर्नार्ड तथा श्रन्य लोगों का यह झ्नु- मान है कि न्यूक्लियस में रचनात्मक उपापचयन ८६9 होता है । यह उपापचयन बहुत से एन्जाइम्स के द्वारा होता है जो कि न्यूक्लियस में पाया जाता है । न्यूविलियस का व्यास $ # से 25 # तक का होता है । न्यूक्लियस के सूखे भार का 7०% प्रोटीन, 3% लाइपिडें, करीब 1०%, 190९ तथा 2 से 35% 0९ का रहता है । इसमें श्राक्सीकरण करने वाले . एन्जाइग्स नहीं पाये जाते प्लस्टिड प्रोटोप्लाज्म के वे तरंग हैं जो कि सायटोप्लाज्म के के दोते हें तथा कुछ प्रकार के शरीर क्रियात्मक (095101010910 कार्य से करते हैं । प्लेस्टिड हरे पौधों के सभी कोशिकाश्रों में पाया जाता है । इसमें कुछ प्रकार के पिगमेंट पाये जाते हैं; जिनके कारण पौधों में रंग उत्पन्न हो जाता है । - ये तीन प्रकार के होति हैं । हि करती है । कोशिकाओं में जितने दी छोटे द्ाकार के हरिम कणुक होंगे उतनी ही (1) हरिम कणक या क्लोरोप्लारट (0010101850 (2) रज कणक या क्रोमोप्लास्ड ((1000000 01950) (5) श्वेत कणक या लिउकोप्लास्ट: हरिम कणक पण॑ हरिम पिगमेंट पाया जाता है, जिसके कारण इसका रज़ हरा रहता है । यह झ्धिकतर उन कोशिकाओ्रों में पाया जाता हे जिन पर सूर्य की किरयें पड़ती रहती हैं । ये सायटो- प्लाज्म के परिधि भाग में मुख्य रूप से पाये जाते हैं । कोशिकाश्रों में इनकी संख्या मिन्न-भिन्न होती है जोकि हरिम कणुक के द्ाकार के ऊपर निर्मर उनकी संख्या श्रधिक होगी । प्रीस्टले तथा इचिन ने 7907 में यह बताया कि पर्णु हरिम कणुक के परिधि वलय (९८एं[५ि८181 संत) में ही पाई जाती है जिसे इन लोगों ने दो प्रकार के जीवों में देखा | जकले (21016) ने 1926 में यह बताया कि दरिम कणुक सायटोप्लाज्मिक पदार्थ से बना होता है जिसके मध्य में रसघानी (४४८००1८) रहता है इसमें छोटे- छोटे रिक्त स्थान (01८ 54206) रहते हैं जिनका सम्बन्ध रसधघानी तथा हरिम कणुक के बाहर उपस्थित सायटोप्लाज्म से रहता है। दरिम कणक के सायटोप्लाज्मिक. पदार्थ में ही चारों तरफ बराबर प्ण दरिम बिखरा रददता है । रसघानी (2८००८) में स्टाच॑ पाया जाता है। ऊँचे जाति वाले पोंधों की कोशिकाओं में हरिम कणक: की संख्या विखंडन (55070 प्रक्रम द्वारा बढ़ती है । इस प्लास्टिड के द्वारा पौधों में कार्बोहाइड्रेट का निर्माण होता है । नकल हमला निकाला




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