श्री समता विलास | Shri Samta Vilas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shri Samta Vilas by धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma

Add Infomation AboutDheerendra Verma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
समता निधान १०, समता ही कुल फकीर) का मगाज यानी परमपद है। वहाँ प्र होकर ख्वाहिश के अजब से छूट पाई है | ४१. समना नस्त चतन्य प्रकाश अनादि हैं| इस वास्ते सबको नाजमी है कि उस आनन्द को प्राप्त करे १२, समता से ही मानुष जुनी सब जीवों से उत्तम मानी गई है, क्योंकि इस जूनों में समता का असली स्वरूप हासिल कर सकते ९ १३, समता ही आनन्द है, नित है, निर्वाण है, सबकी बुद्धि में इसको चमक है ¦ उम वास्ते इस प्रकाश की तहकाकात करना हो दिव्य 1४, समता की हिदायत सबको निजात देने वाली है सब मजहवी समता की हिदायत करने वाला ही असली रहनुमा है। इसके उपदेश हैं वह बाद प्रुबाद हें पमता को आनन्द हालत को प्राप्त होना ही असली भक्ति ! नफ़्स प्रस्ती (स्वाथंपन) है और पाखण्ड है | ७. समता के असली भाग को समझने से ही सब राजा प्रजा मुख पाते ३ इसके बग़ेर सब चालाकी और अन्याय है | १८. समता का हो विचार असली सत संग है जो कि मन इन्द्रियों को ममता को नाश करता हे और आनन्द अवस्था को प्राप्त करने का स्न पैदा करता हे | इसके बगर सब जुमायश है और जहालत है | 4 > রর प्र श्वी ८५५ + ८ ** রি ও. २ 1 লিল ছা? (1 + ~ 1 शो व्‌ क सब रोम 1 ४ क 4 1 571 2, (8. । द्र রঃ এ রি রর द




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now