समाजवाद : पृंजीवाद | Samajwad : Prijeevad

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Samajwad : Prijeevad by शोभालाल गुप्त - Shobhalal Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विभाजन केसे करें ! ६ साबंत्रिक 'नहीं बना सकते । कारण, परिस्थितियों बदलती रहती हैं। इस अकार हम जब स्थायी कानून नहीं बना सकते तो उनसे सम्बन्धित प्रश्नों का हल भी स्थायी नहीं निकल सकता | इम कह सकते हैं कि हमें दो इस स्थिति में युग बीत गए ! यह सच है, किन्तु कभी-कभी ऐसा होता हैं कि जिन प्रश्नों पर लोगों का ध्यान कभी युगों तक नहीं जाता, थे लोगों के सामने यकायक भूकम्प की तरह थ्रा खडे होते हैं ओर उन पर उन्हें विचार करना ही होता है। सम्पत्ति के विमाजन का प्रश्न एक ऐसा ही प्रश्न है। वह युर्गों के बाद यकायक लोगो के सामने थाया है। इसलिए उस पर किर विचार करना ही होगा । जव हम चह कहते हे कि लोगो का ध्यान इन प्रश्नों की ओर युरगों 'से नहीं गया तब हम को यह नहीं भूल जाना चाहिए कि विचारशील लोगो -का ध्यान इस शोर सदा गया है। पश्चिम में ऐसे लोग हुए हैं जिन्होंने সীমা কী धनी और गरीब, भालसी झौर श्रतिश्रमी इन दो भागों में 'विभक्त करने का विरोध किया है। उन लोगो का वह अरण्य-रोदन ही था। मामूली लोगो ने उसे तव सुना जब यूरोप की धारासभाओं में साधारण राजनीतिशों ने चि्ला-चिल्ला कर कहा कि सम्पत्ति का वर्तमान विभाजन इतना विपम, भीषण, हास्यास्पद, धसहनीय और दुश्तापूर्ण है कि उसमें भारी परिवर्तन किएु बिना सम्यता को नाश से नहीं बचाया जा सकता | इसलिए सम्पत्ति के विभाजन का प्रश्न अत्यावश्यक और धमी तक 'शप्रिर्णीत है। इस पर हमें फिर विचार करना चाहिए । | # ४ हि ২৬ ৯ কি विभाजन केसे करें ? देश में सम्पत्ति हर साल पैंदा होती है और हम उसी से जीवित रहते हैं। रुपया वास्तव में सम्पत्ति नहीं है। वह तो सोने, चांदी, तांबे -या काग़ज़ का टुकड़ा सात्र है। उसके द्वारा आदसी को असुक परिसाण




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