अल कुरान | Al Kuraan
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39.54 MB
कुल पष्ठ :
440
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पारा ? ६ बक़र २ श्योर कंगालों से भलाइ कीजियों और लांगों से अच्छी वात्ता कोजियों नियमानुसार प्रार्थना कीजियों दान देते रहियो परतु कछ लोगों को छोड़ ठुममें से सब फिर गये और तुम तो फिर जाने हारे ही हो । ७८ फिर जब हमने तुमसे बाचा वांधी कि तुम परस्पर लोहू मत बहाइयो और अपने लोगों को अपनी चस्ती से न निकालियों और तुम- ने इसको श्रहण किया तुम आप ही साक्षी हो । ५६ सो तुम ही बह हो जो हू अपने लोगों को घात करते हैं और अपने एक जत्था को उनके घरोंसे निकाल देतेहैं और उनपर कटठोरता और अनीति से एक दूसरे के सहायक होते हैं. फिर यदि वही बंधुवा होकर तुम्हारे तीर आते हैं तो बदला देके छुड़ा रूते हो यद्यपि उनका निकाल देना ही बर्जित था क्या तुम पुस्तक के एक भाग पर विश्वास रखते हो और एक को नकारते हो सो जो मनष्य तुममें ऐसा करे उसका दण्ड यही हे कि संसार में लज्जित हो और पुनरुत्थान के दिन अति कलश में पड़े इश्वर तुम्हारे कमा से अचेत नहीं । ८० यहीं लाग जिन्होंने अन्त के जीवन की संती संसार के जीवन का माल लिया सा इनक कलश में न घटी की जायगी न उनको कहीं से सहायता मिलेगी ॥। रू० ११-- ८१ १ और हमने मूसा को पुस्तक दी और उसके पीछे लगातार प्रेरित भेजे और हमने मरियिंम के पुत्र इसा को प्रत्यक्त चिन्ह दिए और पवित्र आत्मा से उसकी सहायता की--क्या जब तुम्हारे निकट कोइ प्रेरित ऐसी आज्ञा लाया जिसको तुम्हारा जी नहीं चाहता था तुमने सामना किया सो एक जत्था को मिथ्या ठहराया और एक को मार डालते रहे.। ८२ कहते हैं कि हमारे हृदय ढँके हुए हैं इश्वर ने उन के अधमे के कारण उन्हें श्राप दिया इस कारण उन में से थोड़े विश्वास लाते हूं। ८३ ओर जब उनके तीर एक पुस्तक इश्थर की ओर से आई जो उसको सच्चा ठहदराती हे जो उनके तीर है ओर इस से पहिजे अधर्म्मियों पर जय चाहत थे परन्तु जब उन क॑ निकट वह £ 1 बस्त अआइ जिस का कि विवि का का कपमबनसयमम अब जार. बन रनवनदनवन नन्नण अन्ना पक गीयलपलनलारण-ण ना न ० लाए नाश नाल नअकननएतल्ए। कल पलललवकलव की-अपने कुटम्बी नातेदारों में। हू अरबी और यहूदी गोप्टियों के परस्पर बेरभाव की श्रोर सूचना है । जान पड़ता है कि महम्द साहब ने जान बूझककर पवित्र द्रात्सा की ईश्वर ताई को अनथ॑ गीकार किया ओर उसको जिराईल दूत बतलाया यदि सूरणए इसराइल अआयत ८७ को देखें तो वहां श्रात्सा को प्रभु के नाम से बतलाया है इस श्रायत को राजाओं को पहिली पुस्तक २२ २१ से मिलाओओ । £ श्रधोत खतना नहीं हुआ | १ जान पड़ता है कि वस्तु का अभिप्नाय खीप्ट है क्यों कि यहूदी उसकी बाट जोहते थे हागा २ ८ में आआनेहारे खीप्ट का चचा हे ग्रदूपि महम्मदी उस को मुहम्मद साहब की श्रोर लगाते हैं. यशेयाह ४४ १।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...