कामायनी | Kamayanee
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
250
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)त्रता
स्वय॑ देव थे हम सब, तो फिर
क्यो न विश्वेखल दोती सषि,
अरे अचानक हुई इसी से >
कड़ी आपदाओ की बृष्टि। 31
राया. सभी कुदं गया, सधुर तस
हमद. खर बालाओं का श्रंगारः
उषा ज्योत्स्ना सा यौवन-स्मित् हे»
मधुप सदश निश्चित बिहार | ১২৭
भरी वासन-सरिता का वह
केसा था मदमत्त_प्रवाहु, लोक ऊन
अलय-जलधि मे संगस जिसका
देख हृदय था उठा कराह।” 23.
“चिर किशार-वय, नित्य विलासी) ৮
सुरभित जिसस रहा दिगंत,
आज तिरोहित हुआ कहाँ वह
मधु स पूणं अनंत वसंत ? २, कम
्स॒मित कुला मवे पुलकित
प्रसलिगन हए विलीनः;
सोन हुई है मूच्छित ताने
शरीर न सुन पड़ती अव वीन। + २
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