राजस्थान के वीर | Rajasthan Ke Veer
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
66
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विजयलक्ष्मी चौरड़िया - Vijaylakshmi Chauradia
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चाने भी आया, परन्तु वादशाह ने कपट से राजा को पकड़वा दिया
तथा अपने डेरों में ले गया। इसके साथ ही साथ रानी पदिमनी से
कहलवा दिया कि अगर वो राजा को जीवित देखना चाहती है तो
वह (रानी) स्वयं मेरी सेवा में आजाय | इस विषम परिस्थिति में
राजपूता में रोप और भय व्याप्त हो गया । परन्तु इस दुःखपूर्ण घड़ी
में बैये और विवेक की आवश्यकता होती हैं। হাদী ते भी पूर्ण चितन
धेयं से काम लिया । अपने चुने हुए सर दारों से परामर्श कियां-इनमें
प्रमुख गोरा और वादल थे |
गेसे कठिन समय में रानी पदिमनी, गोरा और वादल ने मिल-
कर बड़ी दरदशिता से काम लिया। उन्होंने निश्चयः किया कि इस
“विकट परिस्थिति में राजा रतनर्सिह को कृटनीतिं से छूड़ाना-चाहिये
और युद्ध करके अलाउद्दीन के छक्के छड़ाना चाहिये ।
उन्होंने अ्रलाउद्वदीव के पास कहला भेजा कि, “रानी
साहिवा ल्ली के वादशाह की सेंवा में पहुंचने को अ्रहो भाग्य मानती
है । परन्तु वे मान-प्रतिष्ठा का ध्यान रखती हुई ध्षात सौं वांदियों के
साथ पालिकियों में बैठकर आयेंगी। इसके साथ ही साथ “उसकी
'हादिक अभिलाषा है कि वह अपने पति, मेवाड़ सूर्य, के अन्तिम दर्शन भो
कर लें | अंत: कारागार में उनसे मिलने की. व्यवस्था एकान्त रूप
में की जानी चाहिये | यदि श्राप यह शर्ते मंजूर करने को तेयार <्ढ
तो अनकल व्यवस्था की जाय । $ “এ
इस संदेश को पढ़कर मदान्ध व अद्रदर्शी अलाउद्दीन कुछ भी
“नही समझ सका वरन् मारे खुशी के उछल पड़ा | उसकी वुद्धि पर
'अन्धकार छा गया, अपनी सूर्क वुझ खो वैठा । उसने सहर्ष वह श्रतं
मजर की । वादशाह का स्वीकृति-पत्र प्राप्त होते हुए सात सो पाल-
कियो की तैय्यारी प्रारम्भ हुई । प्रत्येक पालीं में दो-दो चुनें हुये सशरंत्र
. राजपूत वीर बैठे और ..छः छ: वीर .कहारों के भेप में .शस्त्रों को
-चिपाये प्रत्येक पालकी. को उठाकर चल् .दिये । यह् गुप्त रीरा का
ष भर
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