सर्जम परिचय | Sarjam Parichay

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Sarjam Parichay by रामनरेश सिंह - Ramnaresh Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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রী. 9 . कणा ऊपर और लाट नीचे स्खने का- करिए: यहा है कि “ लाट मोटी होती है. इसलिए उसके आधार से क्रपास: पर्फर्डाने में आसानी হীবীনই। জাত के मोटे होने से- अलग होनेवाली रूई भी आसानी से नीचे खिसक-जातीं है । कपास अनेक দাহ জা होता है। किसी कपास के অন্তু लम्बे और यारीक होते हैं तथा किसी के छोटे और 'मोठे होते हैं। इसी प्रकार फिली-के' तन्तु की पर्कड़ बिचौत्े पर खूब मजबूत होती है, किसी की साधारण | देंचें कपास: कु: - सम्तु.की पकड़ तो ङु होती ही नहीं । सन्तु की रम्वेोईः सोटाई,- छोटापन और वाशीकपनं व उनकी बिनैले परं कीः पकड़ फा विचार-कश्केमोटनी कीं लाद वं कणे की सचनाः की . जातीः है । हीथ ओटनी से लाट की हाथ से गति दी-जाती है-। जिस ओंटनी मे पांव से गति दी ज्ञाती है. उसको पॉच ओटसी करते ह इस पर हाथ গ্দীতনী को अपेता कम ज्यादा होता है। सावस्मती में बती आधुनिक पॉव ओटसोनी में एक विशेषतां यह हैं कि ओटते समय लाट और कण मे जो अन्तर चढ़ जाता है वह पने आपहो (8060719009119) कम होता जाता है।। ४7 পার্ট जिनिंग फेक्टरी-भे ओदने का फॉम छुरी से होता है । एक किस्से हुए चमड़े के बाशर के वेलन से तत्तु चिंपकते है ए र नी




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