महाकवि देव | Mhakavi Dev
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
240
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रष्ठ भूमि ६
इसे पूर्णतया मुस्लिम-विरोधी बना दिया ओर बहुत बलिदान करके भी
यह धर्म मुसलमानों से मो लेता रहा | এ
यूरोपीयों के आने के वाद ईसाई धर्म का भी यहाँ धीरे-धीरे प्रचार
परारम्म हथआ | अंग्रेजों को नींव मज़बूत होने के बाद यह भी হালপন हो
गया अतः राजर्शाक्त का सहारा पाकर फलने फूलने लगा | লিল
प्रकार अनेकानेक लालचों या भयादि से व्रत से हिन्द मुसलमान
हये थे अब बहत से ईसाई होने लगे ओर इंसाइयों की संख्या धीरे-धीरे
वदने लगी | लाड बलज्ञली के समय मे सात देशी भाषाओं में बाइबिल
का अनुवाद कराया गया | स्थान-स्थान पर चर्चों की स्थापना हुई | इ
प्रकार इस शर्म की भी उत्तरोत्तर उन्नति होने लगी | |
रीतिक्रालके अंतम चरगु में यूगेव्रीय सम्पक के कारण हिन्दू तथा
मसलमान कह बैज्ञानक ओर तकशील हो गये तथा अंधविश्वास दर
'होने लगा पर इस परिस्थिति ने री।तकाल पर कुछ प्रभाव न डालकर
हिंदी के आधुनिक काल को अमावित किया |
इस प्रकार हम देखते हैं कि रीतिकाल में. धासिक दशा भी वदी
ग्रव्यवस्थित-सी शी | धर्म को भूल कर लोग प्रायः अंधविश्वासों तथा
मृख्ंतापर्ण रूढ़ियां को धर्म समझने लगे थे | वद एक वाक्य में कहना
चाहें तो राजनी।त एवं समाज की भाँति धर्म भी ज्बग्रस्त था| आचार
ओर नैतिकता की भी यही दशा थी। नीचे से ऊपर तक घृसखोरी,
थोखा, फ़रेब, अत्याचार एवं अनाचार का साम्राज्य था |
(उ) कला
१. स्श्रापत्य
मुगलां का स्थापत्य प्रेम स्थापत्य के विश्व में अपना विशिष्ट स्थान
रखता हू | बाबर से ही इसके अंकुर मिलने लगते हैं| बाबर को भारतीय
स्थापत्य उच्चकोटि कान लगा अतः उसने अपनी इमारतों के लिए,
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