कीमत प्रणाली एवं साधन आवंटन | Kimat Pranali Evam Sadhan Aavantan

Kimat Pranali Evam Sadhan Aavantan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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12 कीमत प्रणावी एवं साधन आवंटन समष्टि-प्रवेशास्त्र वी कौसन सूचनावा श्रथवा सामान्य बीमत-स्तर वी श्रव घारणाएँ व्यप्टि अर्वशास्त्र की व्यक्तिगत बीमतो वा स्थान ले लेती हैं । राष्ट्रीय प्राय बा सिद्धान्त समप्र शुद्रा-प्रवाहा, वस्तुप्रा व सेवाग्ना वे समग्र प्रवाह और साथनों के सामान्य उपयाग या रोजगार व स्तर मं हान बाते परिष्रतमों वे बारणो पर श्रपना ब्यान वैन्द्रिए क्‍या है श्राधिता उर चत्वा और साथता वी वरारी से सस्ब्रन्धित समस्यात्रा वा समाधान उतके कारगा का निवारगा स स्वत तर्वंसगत रूप मे सिकलता & | ঘলছিত গান म श्राधिद निकास वी प्रद्ञेती] एवं उत्पादन-क्षमता वे राष्ट्रीय झाय व बालान्तर मे विस्तार वी श्रावश्यद शर्तों व बारे मे वापी चर्चा वी जाती है। बीगत-सिद्धान्त और राष्ट्रीय आय-सिद्धान्त वा पररपर गहरा सम्बन्ध होता हैं और थे व्याधत शघ मं एुव टूगर के पूरफ তাল) उदाहरग्याई, णे सान्यताएँ वि श्ररव॑व्यवस्या स्थिर (201०) है और साधना था নকুল पूर्ण रोजगार वी स्थिति प्रौप्त है--बस्तुत ऐसी ४ जिनमे अर्वव्ययस्था था राष्ट्रीय प्राय-मिद्धान्त वे! हष्टिपोण से देखा जाता है । आधथि वियया वी एक दी हुई दशा, शिसवी परिमापा राष्ट्रीय श्राय-भिद्धान्त से सम्बद्ध वारत थी जाती है, हम एपा एसा ढाँचा प्रदान बरती हैं जिसम हम प्रीमत-सिद्धान्च बा विरसित करेंगे । बीमत सिद्धान्त बटुत-छु श्रमुत्त (90812९) होता हैँ | इस बात पर प्रारम्भ मे ही विचार करना उचित हागा । दस सम्बन्ध म॑ हमारे অপ कच्तादरणा ्र्येमी, নিন হুলবন হল বানল ভন এল অ ঘন जटिल प्रती टामी 1 प्रमुसतया हम यह दर्खेये वि वीमत-मिद्धात्त बास्तत्रित्त घयय का वरणान नहीं मरता है। यह हम इस बात वा नहीं बतलाबगा कि किसी दी हुई तिथि वो झोलाहामा शहर श्रौर मतीवलेंड के बीच गैंसावीन के भाव म प्रति गैया दो सैंट का ्रनार म्रौ पाया जाना है । लिपित यह हम बास्ववित्र जगत बा सममते में मदद दता है। सामान्य रूप मे हमे यह बतजावा है कि ग्रेमाजीन बी बीमा या वीमसे कमे निर्धासिति होती हैं भ्रोर ये बीमतें झर्थयवस्था वे समग्र सचालन मे बया स्थान रखनी है । वीमत-पिद्धान्त के श्रमूत्ते था भायप्रधान माने जाने का वारण यह हैं कि यह वास्ततरित्त जगत दे समस्त ग्राथिक तथ्यों का अपने सम ने तो शामिल বন্লা হ গীত ने कर ही सर्या है । उपभोनाश्नो, सनाद स्थामिया और व्यायसाधिव फ्सों वे शराविद निप्यया वो प्रभावित करन वाले समर दश्या व तत्वों पर प्रिचार बरने मे लिए बह আহাদ ৬ টি সত विद्ययन आजिक इबाई का मुद्रम विवचय व पिश्ले पर विया जाए, तेबिन यह एए असम्नद॒ बार दाया । परिगणपस्यलए निदान का काय दथ दव्य दासा दाह जा मगन अधिक महन्वपूर्त प्रतीत होते हैं शरौर इसमे হানে कमल प्रस्याली वा झमग्र अयधारणामूलव হানা (০০/:০০:821 [222৩৭ ০০) तैयार करना होता है। हम ऐसे दस्पो एवं छिद्धास्तो पर अपना ध्यान




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