भारतीय अर्थशास्त्र सरल अध्ययन | Bhartiya Arthsastra Saral Adhyayan

Bhartiya Arthsastra Saral Adhyayan by अवध किशोर - Awadh Kishor

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय ? भौगोलिक पृष्ठ भरुमि १ प्रन ३--भारत की भौगोलिक परिष्यितियों का उल्लेख करते हुए यह स4- कौोजिए कि उनका भारत के प्राथिक विकास पर कया प्रमाव पडा है ? 0.3. 06८४6९ पर 66णड्टा8ए०४ 6010500006065 01 17015 45 1061 1०१०८०८९ ०४ १९ ६ ८०००८ 006561095601 ০6136 0০৮০02৮ £ उत्तर--विसी देश की भोगोलिक परिस्थितियों का अर्थ उस देश की स्थिति जघवायु, भिद कौ बनावट, नदिया तया पवेत, खनिज पदार्थ वन सम्पत्ति तथा समुद्र, तद इत्यादि से होता है॥ कसी भी देश का झ्राथिक विकास वहुत कुछ वहाँ की, प्राकृतिक तथा भौगोलिक परिस्थितियों पर होता है। देश की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार तथा लोगो के रहन-सहन का स्तर, यह सव वार्ते भौगोलिवः परिस्थितियों ' पर ही निर्भर होती है । भारत के झाधिक विकास पर यहाँ के प्राकृतिक साधनों और ग्रैयोलिक परिस्थितियों का व्या प्रभाव रहा है यह जाननेसे पूवं हमे इव वातका पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लेना चाहिये कि भारत की भोगोलिव स्थिति লয়া है और भारत | में कौन से प्राकृतिक साधत कितनी मात्रा में पाये जाते है। निम्नलिखित वर्णनसे हमे यह्‌ जानने मे सहायता मिलेगी कि वास्तव मे भारत का श्रायिक विकास यहाँ की भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक साधनों पर बहुत कुछ निर्भर है । प्राकृतिक स्थिति (४७४०४ $109(101)--भारत गणराज्य का कुल | क्षेत्रफल लगभग १२३०००० वर्ण मील है जो उत्तर-दक्षिण मे दो हजार तथा पूर्व । पश्चिम में १७०१ मील तक फ्ला हुआ ই । भारत के उत्तर में हिमालय पहाड को श्रेणियाँ है जिनका भारत के झ्लाथिक जीवन से घनिष्ठं सम्बन्ध है! भारत के दक्षिण में समुद्र है जो अ्रव सागर तथा वाल वी खाडी से घिर! प्रा है इस प्रकर भारत के तीन ओर समुद्र हैजो पानी के रास्ते भारत को ससार के प्रस्य देशो से मिलता है। भारत को तीन मुख्य प्राकृतिक भागों में वाँठा जा सकता है (१) उत्तर का पहाड़ी प्रदेश (२) गगा सिंध का मंदान (३) दक्षिणी पठार तथा पूर्वी और परिचिमो समुद्र तट । (१) उत्तर वा पहाड़ी प्रदेश:-- उत्त र मे हिमालय की श्ुखलताएुभारतकी उत्तरी सीमा पर लगभग १६४५० मोल तक फैली हुई हैं श्रौर भारत को एशिया के अन्य मागो से पृथक करती है । हिमालय भारत की रक्षा करता है जलवायु तथा 1




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