पिता पुत्र | Pita Putra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.8 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पिता पुत्र जि सा दे च्छा तो तुमने डिग्री प्राप्त कर ली ओर अन्तत घर चापस बा गए । ? चिकोलाई पेट्रोविच ने बारबार के कत्थों छोर घुरनों को थपथपाते हुए कहा- बाखिरकार तुम आ गए । चाचा का क्या हाल है ? हैं तो खेर्यित से न ? श्ारकेडी ने उसके मन में उल्लास-बच्चे का सा पचित्र उल्लास भर रहा था परन्तु चहद इस भावुक वार्चालाप की घारा को सांसास्कि ठोस चास्तविकता की बोर सोड़ने को उस्पुक था । वे ठीक हैं । वे मेरे साथ तुमसे मिलने के लिए श्माना चादते थे परन्तु किसी वजह से उन्होंने अपना इरादा बदल दिया ?? क्या तुम्हें बहुत देर तक इन्तजार करना पड़ा ? से पूछा | लगभग पाँच घण्ठे तक 1 ? प्यारे पिताजी आरकेडी ने मावातिशेक से अपने पिता की श्योर घूस कर अत्यंत उल्लास से उसका गाल चूम लिया । निकोलाई पेट्रोविच के मुख पर स्निग्व मुस्कान छा गईं । पसेंने तुम्दारे लिए एक बहुत सुन्दर घोड़ा लिया है । उसने कदना शुरू किया- सुम सी घर चल कर उसे देखना । और तुम्हारे कमरे की दौवालों पर नया कागज चढ़ाया गया है 1 ? बजारोब के लिए भी कोई कमरा है ? उसके लिए भी एक कसरे का इन्तजाम कर देंगे । तम चिंता मत करो उसके प्रति अच्छा व्यवहार करना पिंताजी मैं झापकों बता नहीं सकता कि मेरे लिए उसकी मित्रता का कितना अधिक मूल्य दै । चनया तम उसे बहुत दिनों से जानते हो ? नहीं बहुत ज्यादा दिनों से सो नहीं ।
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