महावीर परिचय और वाणी | Mahaveer Parichya Aur Vani
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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रस्सी वितावा में जीवित रहे और अगर वितावें सो जायें तो इृष्प सो जाय ? अजगर
ऐगा है ता न कृष्ण का वाइ मूल्य है और न महावीर का । आदमी के रकार, षष
वे रेवाड गणघरा वा रवाड ही अगर सत्र वुछ हैं तो ठोव ই বিলাল লা জামী
और ये भादमी भी खा जायेंगे। मगर इतना सस्ता नटी है यह मामजा विः इतनी
बड़ी घत्नाएँ घंटें कोई परम सत्य को उपलब हा और यह बात केयर बमतार
आदमिया वी बमजोर मापा म॒ सुररातत रह। मेरा वहना है कि जगत् मे जो भो
ঘশ্লা है चाह वह मह्त््वपूण हो या अमहत्वपूण वह कभी नप्ट नहीं होता जौर न
उसे मनुष्य पर ही छाड दिया जाता है वि वह उसे सुरक्षित रसे । अधे भा उस
ब्यक्ति क अनुमव वा सुरलित रस सवत ह जो कमी उनके समाज मे था और उस
লন লাম লি गई हा, प्रकाश के दणन हो गए हा? हम उस व्यक्षि को तुएना
में अधे हैं जिसे सत्य वी उपरति हुद ह अथवा जिसने चान यशुजा स सत्य या
माभातार विया है।
ता मै कहना चाहता हे नि अस्तित्व मबु मी नटा याता। सचतायटटैषि
मर ये झट भी बराबर मुफ्तर रहेंग। जा शाट एवं बार पटा हा गया है वह
कमी लुप्त 4 होगा कृष्ण ने अगर बनी भी कुछ कहा है ता आज भी उसको घ्यनि
तरणगें शिही तारों बे निकट स गुजर रही है। ध्यान रह विः छःदन मे जा यारा गया
है जाप उसे ठीव उसी वक्त नहा सुन रूत, बयावि ध्यमि-तरगा को आन मे समय रगता
है | जा वी भी बोरा गया है उसवी ध्वनि-तरयें आज नी वनमान हैँ किटा तारा
पे पास से गुवर रही हैं। यानी विसी तार पर महावीर क वचन आज भी सुन जा
रह हाग । इसरा उया मतजय हुआ ? इसवा मतलब यह हुआ पि इम अनत भवा
ম--আান্ন है इसरिए इराम गुछ नटा खोगा-जा भी पहा हांता है, बह यात्रा
मरता रटता है ।
एसी प्रवार और भी प्*म तरगें ह जा घ्यनि वी न अनुभूति वी तरगें है।
जय हम वातत ऐं तब ध्वनिवा तरयें पशा हाती हैं उक्नि जब अनुमद परत हूँ
सब अपुपूत्ति वी एसी धरमें वेदा हाती हैं जो और मा सूटम जावाश से यात्रा बरती
हैं। तित प्रशार रडिया से स्थूए आयाण मे पूमती हुई ध्यनिसरगा वा प्रडा “यता
है उसा प्रगार अगर बाद यात्रित व्यवस्था हा सब ता सूश्म রাবাশ में हुए अनुप
की तरगा था पुर তালা বায় है। इपबा মত यह हआ थि जुसतियाँ
भा 4 नी एप पटा होता और ने यह जाहमा पर हा छाटा गया है कि था एहें ये
धार मुरलि दण यदिमं तिनि ध्यात स्पवर उपा भीगर रेत, दिणिष्टे
स्परियामौ -नूनतिस हसता श त-प নাহ মলা ই তা হলি
हम पिमा विरिप्ट स्येवित का यान ने रसरर उतरें ता हम अपनी ही भार बा
मूनिया मं जार लोत हैं। सपा भाउर बहुरा”ग में घायवाणप स्यकि एसी य्तय
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