हिंदी गद्य साहित्य में राजनीतिक तत्त्व | Hindi Gadya Sahitya Mein Rajnitik Tatwa
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
502
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इसकी महा विश्व ता है । की ही गारतीय गंस्कृति का प्राण है | एसीडिए
स्याम ज मैं अधम से दैज्ञ राग नाश तथा धर्म मे राष्ट्र के अभ्युल्थाल की बात बड़
हं। गुल्धा आर्यानों के करा बतलाह है । धर्म की स्यवस्णा स्वं संचालन के हिरि
एाजा ही उपरक्षर्थी है | वह प्रजा का साठम महाँ करता, तौ' प्रजा में अराजक्ता
कै कटने धै वेशं के जापितत्व का लौप हो जायगा और विश्व धारणः कयम
बाला धर्म भा एशातल में नहा जायगा |
राजपु पक्प्रजा | र्मों लौक्रय हंपयते ॥
प्रजा 'राजमयापेव से स्रार्दान्ति परत्परम 1
লঙ্টাহ घपः स्यो ন ভাবছি তাজা প আমন 11
(शान्ति € ‡)
पज के विग्न पर समाज तथा पाष्टू ष्ण
र्वैनाश हौ जाता है । -एजनीतिक नेता ৯৮ ভিত না জেলা সতী अ
सपटिथत प किए हैं,वह आज भी उतने ही गुन्दर ल्थ मैं अनुन्धणतय औए মাধ है |
त्यात जा शव जगृहे कि भाद्तभ्वै कुणि प्रधान धर्मे जौ भता प्व्यं अपन हाथों
सै कृष्णि' नहीं करता, दस नहीं। जौततक- बौता, उरौ नैता बनकर दष्ट कौ प्ति
में जामि जा कौ! अधिकार नहीं | ৮৮
तनः य समितिं गच्छैहु यरच रौ পিন कषप ।*
जनता है व्यण्ति की भावना व्व पृ ट महामाएत
कै एाजनसिक मैलग के आदर्श पे पिरत है । व्यास পা भे भारताय राजाओं कौ
प्रजातस्त युग के आधिनायणों कै दुर्गुणमैं से मुक्त और सौच्छाचाएी एाजाओं म कषरम
है तिन प्रजा क्न {त सिन्तक तथा मग्न क माना है । राजा कौ তা হণ
कैस्ड मानने पर सो जनमत की এনঠতনশ প্র नहा क् सै | सहमत की मुह क्था
कॉबन-पाण्ट युद्ध सै सम्बन्धित है | इसलिए कॉपि ने अप मुग को उन्म युह~क्ल
॥ उधौगपर्व ३६1३१
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