गिनीज बुक सारु | Ginej Book Saru

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Ginej Book Saru by डॉ मदन केवलिया - Dr. Madan kevliya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पितू-शोक - अेक मोटा अफसर नै जिया डोकरा री आदत हुवै बै घणकर सरदिया मे ई चालता रैवै जिणसू आवण-जावण आठा नै फोडा कोनी पडै | मोटा अफसर रोहित जी रा पित्ताश्री भी धुध सू भरयोडी जनवरी री रात नै जद आखिरी सॉस लीनी तद मोटा अफसर मोटी घरनार है सागै अफसरा दाई जीमण नै जाय रैया था। बापू वाथरूम जाय रैया हा पण अधवीच ई खिर पडया | घर रौ जूनो नौकर केशव फिल्‍्मा मे हुवतो तो रामू नाव होतो हाका करयी साहब दम्पती आयनै देखयौ अर डागदर नै फोन करयौ । डागदरा कनै कठै भी जावण रौ टेम कोनी हुयै फिल्‍मा मे तो टेम हुवै पण ऊचा अफसरा सारू हरेक नै ई टेम हुवै। डागदर साहब आया अर फिल्‍मा दाई सॉरी कहनै गया परा बठै धौढी चादर नी ही नींतर चादर भी ओढा देवता। अबै ? आला अफसर दम्पती रो मजो ई किरकिरो होय गयो। ईया नै अबार ई लोई पीवणी ई घरनार सोच्यो अर दोनू जणा आपरै कमरे मे गया परा। गाभा बदल र साहब आया अर कई लोगा नै फोन करया खास तौर सू दफ्तर आता सहायका नै। घणी ठड ही फेर भी वरफ री सिल आई | ठडो जल जिणनै गरमिया मे नसीब नी होय सकयो थो यो अबै बरफ री सिल माथै सूतो हो - आखिरी दिना मे फ्रिज नै तालो जड र बहूरानी कहती कै नौकर-चाकर फ्रिज सू चीजा खाय लेवै। डोकरै सारू मटकी ही। अबै वो ठाठ सू बरफ माथै सूतो हो। रोहित जी रा दो सहायक रात भर बठै रह गया बापू कनै | रोहित दम्पती रा टावर-टींगर हाइटैक स्कूला दिल्‍ली मे भण रैया हा वानै टेरण री जरूरत ई नी ही। बानै रोवणो अर पसद नी हो | हेठै दफ्तर रा मिनख अर नौकर-घाकर बापू है शात सुभाव सहानुभूति मिनखपणो आद री चरचा करता रैया। रोहित जी हर मौकै माथे मिनखा नै केवटणो जाणतों हो। ईयाई इसै मौकै माथै लोग निलनिसी बोनम मरण आल रै चावत चोखा विचार नै मानै ई है । इया तो बापू दूजै बेटै हरीश रै अठै ई रिटायरमेट रै पछे रैंवता हा अठै तो दो महीना पहली ई आया हा। विधुर हा। अखवारा में शोक समाघार गया वा सँूँ पहला ई पत्रकार साहब रै अतै पूग गया। बापू री फोटो जीवनी अर दूजी जरूरी बाता रोहित जी सू पूछी । रोहित जी श्रवण कुमार बण्या भर्‌योडै गलै सू जुकाम री वजह सूं पितृ-सेवा रा सागोपाग निनीज बुक सारू/7




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