हम्मीर महाकाव्य का साहित्यिक मूल्याकन | Hammeer Mahakabya Ka Sahityik Mulyakan

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Hammeer Mahakabya Ka Sahityik Mulyakan by प्रियंका - Priyanka

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नाथ की चरित्रकथा का वर्णन करने के लिए महाकाव्य की रचना किया। उन्होंने गर्व से कहा है यथा--- ये दोषान्‌ प्रतिपादयन्ति सुधियः श्रीकालीदासोक्तिषु, श्रीमद्‌ भारविमाघपण्डितमहाकाव्यद्र येऽप्यन्वहम्‌। श्री हर्षामृतसूक्तिनैषधमहाकाव्येऽपि ते केवलं, यावद्‌ वृत्तविवर्णनेन भगवच्छान्तेश्चरित्रि गुणान्‌।। इति । दूसरे कवि की इस प्रकार की गर्वोक्ति से स्पष्ट रूप से प्रतीत होता है कि कालिदास, भारवि महाकवियों जैसे कवियो की तरह अपने महाकवित्व से जगत में यश का प्रसार किया। गोपाचल के तात्कालिक नरेश वीरम्देव तोमर ने एक बार राजसभा में प्रश्न किया कि इन प्राचीन कवियों की तरह मनोरम, सरस काव्य निर्माण मे समर्थ कोई विलक्षण प्रतिभावान कवि दिखायी नहीं पडता है। अतः यह लज्जा ओर चिन्ता का विषय है। तब इस प्रकार की व्यद्ख्योक्ति को सुनकर महाकवि नयचन््रसूरि ने हम्मीर महाकाव्य के सदृश विलक्षण ओौर अत्यन्त महत्वपूर्ण महाकाव्य की रचना किया। कविवर हरिश्चन्द्र ने धर्मशर्माभ्युदय, वस्तुपाल ने नरनारायणनन्दनम्‌, जिनपालोपाध्याय ने सनत्कुमार चरित की रचना की। इस प्रकार महाकवियों ने एतिहासिक महापुरुषों के जीवन-चरित का आश्रय लेकर एतिहासिक महाकाव्यों का निर्माण किया। उन तीन जैन महाकाव्यों मे से एक में जिसके सम्पूर्ण सर्ग में चित्रकाव्य का प्रयोग किया गया है। जिससे एेसा प्रतीत होता है पाण्डित्य प्रदर्शन ही कवि का प्रधान उदेश्य है। माना जाता है उन्होने यश प्राप्ति के लिए 7




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