ग्रामीण विकास और सामाजिक आर्थिक रूपान्तरण | Gramin Vikash And Samajik Arthik Rupantran

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Gramin Vikash And Samajik Arthik Rupantran  by अनुपम बाजपेयी - Anupam Bajpayee

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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और आर्थिक आजादी हासिल करना बाकी है | वह भी शहरों और कस्बों से भिन्‍न, इसके 7 लाख गाँवों के सन्दर्भ में | “जिस दिन मैं गाँव से गरीबी दूर करने में कामयाब हो जाऊँगा, मैं समझूँगा कि मैंने स्वराज प्राप्त कर लिया |“ इस प्रकार स्पष्ट हो जाता हे कि गधी जी दूरदर्शी थे ओर उन्होने इस वास्तविकता को समझ लिया था कि ग्रामीण विकास से ही भारत का वास्तविक विकास हो सकता है | इस तथ्य को तत्कालीन अन्य राजनीतिक नेताओ ने समझा ओर स्वतन्त्रता के उपरान्त देश मे ग्रामीण विकास हेतु सर्वप्रथम मार्च 1950 मे योजना आयोग का गठन किया गया । जिसके अन्तर्गत 1950-51 से 1992-97 तक विभिन्‍न पचवर्षीय योजनाये क्रियान्वित की गयीं । विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं मे ग्रामीण विकास हेतु शाश्वत प्रयास किये गये हँ | इन योजनाओं के अन्तर्गत किये गये प्रयत्नो का विस्तृत विवरण निम्नलिखित है (योजना, 15 दिसम्बर 1994, पृ0 2-4) - पहली पंचवर्षीय योजना (1951-52 से 1955--56) को विकास योजनाओं का प्रारम्भिक प्रयोग समझा जाता है | इस योजना के निर्धारित प्रमुख उद्देश्य कृषि एवं सिंचाई का विकास, ऊर्जा स्रोतो का विकास, उद्योगो को उत्साहित करना तथा आवागमन एवं संचार के साधनों का विकासं आदि है | इस योजना में ग्रामीण क्षेत्र में सर्वागीण विकास की मंशा से सामुदायिक विकास प्रखण्डों की स्थापना की गयी और सभी विकास कार्यक्रमों को एक विशेष प्रशासनिक तन्त्र द्वारा क्रियान्वित करने का प्रयास किया गया | दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-57 से 1961-62) का प्रमुख उद्देश्य अपेक्षाकृत पूर्व की योजना से अधिक विस्तृत एवं महत्वाकांक्षी योजना बनाना है | इसमें आम नागरिक की आय में वृद्धि, उसके जीवन स्तर में कम से कम 25% की समृद्धि, बुनियादी एवं वृहद उद्योगों का विकास, रोजगार के अवसरों का विस्तार एवं आय और सम्पत्ति की असमानता में कमी को महत्व दिया गया | इसी समय पंचायती राज प्रणाली' लागू की गयी | दुर्भाग्यवश इस समयावधि में देश को लगातार गम्भीर सूखे की स्थिति से गुजरना पडा | परिणामतः सघन क॒षि विकास कार्यक्रम' एवं 'हरित क्रान्ति' जैसी योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में अन्न उत्पादन में द्रुत एवं क्रमिक वृद्धि लाने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर लागू किया गया | तीसरी पंचवर्षीय योजना (1960-61 से 1965-66) में राष्ट्रीय आय में 5% की वृद्धि करना, पूँजी निवेश पर आधारित विकास को सुदृढ करना, अन्न उत्पादन मे स्वावलम्बन, उद्योग एवं निर्यात को सशक्त करना, बुनियादी उद्योगों मे राष्ट्र को दस वर्ष मे स्वावलम्बी बनाना, रोजगार के अवसरों में पर्याप्त वृद्धि को सुनिश्चित करना, आय एवं सम्पत्ति की असमानता मै कमी लाना एवं आर्थिक शक्ते का अधिकाधिक सरल वितरण करना | प्रथम एवं दवितीय योजनाओं की सफलता एवं असफलता को ध्यान मे रखकर ततीय योजना मे अनेक एसे विकास कार्यक्रमो की रूपरेखा भी




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