गीली आँखें गीले गीत | Gilee Aankhen Gile Git
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
95
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छवि का अंजन
तेरी छवि का मरकर अंजन नयन लुटाते अपना घन !
- लेने ओ! देने से ऊपर पहुँच चुका है अपनापन
चेतन ओर अचेतन मिलकर,
पिछली भूल सुधार रहे;
साँसों के नाविक जीवन की,
नेया को कर पार रहे;
केशां ने रजनी के तम को,
धोकर पावन कर डला;
तेरे इक इंगित परं रीते,
अम्बर का घट भर डाला;
तेरी मुरली धड़कन बनकर,
मुझे जगाती जाती हे;
पल्लव हिलते दह अर्चन के,
माव कर रहे आराधन।
तेरी छवि का भरकर अंजन नयन लुटाते अपना घन !
लेने ओः देने से ऊपर पहुँच चुका है अपनापन !
धीरे-धीरे भीड़ जमा हो--
ती जाती है. द्वरे पर;
पलकों के चिक उठा न पाये,
जोर शोर सब हारे कर;
( ११ )
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