अशोक | Ashok

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Ashok by भगवती प्रसाद पांथरी - Bhagwati Prasad Panthari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२ अशोक (45095809695 ) का नाती धर्म-विजयी ( ११वाँ शिलालेख ) अशोक हुआ श्रशोक के पिता का नाम बिन्दुसार था, जिसे स्ट्रेत्रो (5173190) श्रलीटरोकेडस के नाम से संबोधित करता है-- (21101611 {11018 & 1719281011 0 25155910950 ०.383.14८ (71116) दसरा ग्रीक लेखक बिन्दुसार के लिये श्रमित्रोकेटस ( 2.11111700112168 ) लिखता है। अमित्रोकेट्स का संस्कृत रूप “अमित्रहता” अर्थात शन्नश्नों का संहारक दे । इसी बिन्दुसार के प्रति यूनानी लेखक लिखते हैं-...“द्गसेन्ड कहता है--सूखे अंजीर सब को इतने भले लगते ये कि भारतोय सम्राट अमिन्रोकेट्स ने, अन्टीओंकस .को लिखा कि “मीठी मदिरा, सूखे श्रंजीर ओर एक तार्किक (50012181) ख़रीद कर भेज देव | इस पर, श्रन्टीश्रोकृक्च ने लिख मेना किं “मीठी मदिरा ओर सूखे अंजीर भेजने में हमें दष है, किन्तु, यूनान में तार्किकों को बचना न्यायसंगत नदीं माना जाता 1; (41101601 {418 804 {0९810 ॐ 2 1@दपध €, 0204 409, 14712416) इसी सम्राट्‌ बिन्दुसार के बाद दी अशोक सिंहासनारूढ़ हुआ | इतिहास की उलझन--कीति .और यश , की पक्षपातिता की श्रालोचना करते हुए, मानव-जाति हमेशा से श्रद्धालु रही है | समय १सिकन्दर की झत्यु के पश्चात्‌ यूनानी शासकों का निधन कर, लैन्ड्राकोटस ने भारत को सतंन््रता प्रदान की । किन्तु व्रिजय करने के अनन्तर उसने सख्तंत्रता को पुनः गुलामी की ज॑जीरों से जकड़ दिया। क्योंकि वह, उन्हीं लोगों के साथ, जिन्हें उस ( चैन्द्राकोटस ) ने स्वतन्त्र किया था, क्रूरता तथ दासत्व का व्यवहार करने लगा । ......चैन्दाकोटस मारत पर उस समय शासन करता था, जब सिल्यूकस अपने मावी उत्कर्ष के निर्माण में संजन्न था। सिल्यूकस ने चन्द्रगुप्त (सैन्द्राकोटस) के साथ संन्धि कर ली. , .(३०२ ई० पू०) जस्टिनस (7प४४7008) £,1001926[000$58 105 79£59609108959 9120. 40910) 11090710019 90986 4.




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